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मेरा मानना है कि सबसे कठिन ज़िंदगी एक बच्चे
की होती है क्योंकि उस समय इंसान का जीवन
रूप ले रहा होता है । उसका जीवन कैसा होगा
इसका फैसला बचपन मे ही हो जाता है । जबतक
बच्चा 18 वर्ष का नहीं हो जाता तबतक ही वह
अपने व्यहवार मे सुधार कर सकता है । उसके बात जो आदत रह जाती है उसे बदला नहीं जा सकता । बचपन मे जो सही राह पर निकाल जाता
है , वही जिंदगी मे सफलता प्राप्त करता है और जो गलत राह पर जाता है उसकी बरबादी वहीं
शुरू हो जाती है । इस किताब में सही और गलत
रास्ते पर आने वाले लोगों के बारें में मैंने अपने
अनुभव से बताने की कोशिश की है । वैसे तो मैं सिर्फ 12 वर्ष का हूँ । लेकिन मैंने इस किताब के लिए कई लोग जो इस दौर से गुज़र चुके हैं उनसे
जानकारी ली और मैं जीसस निष्कर्ष पर पहुंचा
उसे मैंने कई तरीकों से इस किताब में दर्शाया है ।
Superb
You have done a very good job. Written very nicely Keep it up