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गृहकीलनी मन्त्र विद्या

अजय कुमार वर्मा
Type: Print Book
Genre: Religion & Spirituality, Horror
Language: Hindi
Price: ₹399 + shipping
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Description

घर एवं आत्म-रक्षा हेतु विशेष प्रस्तुति...
प्रस्तुत ग्रन्थ के माध्यम से बिना किसी विशेष नियमादि के ही शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाले अनुभूत साबर मन्त्रों द्वारा घर को कीलना बताया गया है और साथ ही उनकी सम्पूर्ण क्रिया-विधि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है जिससे कि कोई भी व्यक्ति मात्र ग्रन्थ में वर्णित विधि का अनुसरण कर सफलतापूर्वक अपने घर को कील सकता है । घर की कीलनी के अतिरिक्त अपने व्यवसाय स्थल को भी कीला जा सकता है ।
गृहकीलनी से आशय घर को सुरक्षाकारी मन्त्रों से उसकी सभी दिशाओं को बाँधकर दुष्टों द्वारा किए गए जादू टोना, नज़रदोष, लाग, दुष्ट वायवीय उपद्रवों आदि से घर की सुरक्षा से लिया गया है ।
साबर मन्त्र साधनाएँ अत्यन्त ही प्रभावशाली होती हैं । विधि पूर्वक करने पर इनके चमत्कारिक प्रभावों को स्वयं ही महसूस किया जा सकता है । हमेशा स्मरण रहे कि अपूर्ण विधि और लगन व अथक परिश्रम के बिना कोई भी प्रक्रिया कभी भी पूर्ण नहीं होती है ।
इन विधाओं पर आधारित पुस्तकों पर से लोगों का विश्वास लगभग- लगभग उठ ही चुका है । कारण पुस्तकों में दिए गए मन्त्रों की विधियों का अत्यन्त ही संक्षिप्त रूप में विद्यमान होना ।
किसी ने कोई मन्त्र लिखा और विधि के नाम पर चार पंक्तियाँ दे कर विधान ही समाप्त कर दिया । और फिर जब कोई व्यक्ति इसे पढ़ कर मंत्र सिद्धि का प्रयास करता है तब उसे विधि की अपूर्णता का एहसास होता है और उस संक्षिप्त विधि में अपनी ओर से मनमाने क्रिया-कलापों को जोड़ता चला जाता है । जब क्रिया ही भ्रष्ट हो चुकी हो तो परिणाम मनोवांछित प्राप्त हो जाए ये भी मुमकिन तो नहीं । और मंत्र सिद्ध न होने पर अथवा मनोवांछित फल प्राप्त न होने पर वह मायूस हो जाता है ।
लोकोपकार हेतु इस ग्रन्थ में गृह सुरक्षा तथा आत्म-रक्षा के साबर मन्त्रों का विधि सहित वर्णन दिया गया है । ध्यान पूर्वक उन्हें पढ़ें, साधना करें और यथार्थता क्या है, यह अनुभव स्वयं करें ।

About the Author

प्राचीन, शास्त्रीय एवं भारतीय मर्यादाओं से सम्बद्ध होने तथा दैवीय प्रेरणा के फलस्वरूप इनका रूझान मन्त्र - तन्त्र विद्या की ओर स्वमेव ही हुआ । दुरूह स्थानों की यात्र अनवरत रूप से कर मन्त्र - तन्त्र विद्या विषयक ज्ञान को विभिन्न स्रोतों द्वारा अर्जित किया । मन्त्र - तन्त्र विद्या के उद्भट विद्वान एवं कालदृष्टा लेखक ने तन्त्र विद्या में अपूर्व ख्याति प्राप्त की है । गुप्त प्राच्य विधाओं के पुनर्जागरण हेतु एवं मन्त्र - तन्त्र विद्या के यथार्थ स्वरूप को जनमानस के समक्ष सरल रूप में प्रस्तुत करने के लिए लेखक श्री अजय कुमार वर्मा जी वर्तमान में शोधकार्यों में व्यस्त हैं ।

Book Details

Number of Pages: 141
Dimensions: 5"x7"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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