You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
ये मेरी सबसे बेमन से लिखी किताब है जिसका आभास आपको सांझ के इस सफर से हो भी I मैंने इस किताब पर मेहनत न के बराबर की है, एक प्रकार से कहूं तो ये किताब मेरी लेखनी का रफ़ बुक या कच्ची पुस्तिका है I बस लिखते गए और बढ़ते गए और मुड़ कर देखा भी नहीं कि कहीं कोई तुक ताल में बेमलता या वर्तनी में कोई त्रुटि तो नहीं है I
मेरी ज़िन्दगी में अक्सर कई मज़ेदार किरदार मुझे मिल जाते हैं या फिर ये कहिए कि इन किरदारों को मैं ढूंढ लेता हूँ I जो मुझे बाखूबी जानते हैं वो जानते हैं कि ऐसे किरदारों के साथ मेरी खूब बनती है, क्योंकि नीरस जीवन या गंभीर रहना मुझे बहुत देर रास नहीं आता या कहूँ कि गंभीर अवसरों पर भी हास्य के पुट की मुझे तलाश रहती है I ऐसे ही एक किरदार हैं श्री कौशल किशोर श्रीवास्तव जी जिन्हें प्यार से सभी "पापा" कह कर सम्बोधित करते हैं | पापा जी को गुस्सा कभी आया भी था ये कोई जानता नहीं है I अपनी धुन में रमे रहने वाले, अति सौम्य इस किरदार को ये पुस्तक समर्पित है| आदमी की ज़िन्दगी में जो भी दुश्वारियां हों खुश रहने का निर्णय उसकाअपना होता है| यही कुछ इस किरदार की रूपरेखा है|
आपका
अजित सिंह
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book सांझ.