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व्हीकल फ़ैक्ट्री जबलपुर की आफ़ीसर्स मेस और फ़ैक्ट्री के बीच बनी एक पुलिया पर बैठे लोगों के विवरण हैं इस किताब में। तरह-तरह के लोग दिखे पुलिया पर। हर व्यक्ति अपने में एक अलग किरदार है। पुलिया पर बैठे लोगों से बतियाते हुये एहसास होता है कि आपाधापी भरी जिन्दगी जीते हुये हम अपने आसपास की दुनिया से कितना अपरिचित रह जाते हैं।
“पुलिया पर दुनिया” आम लोगों की रोजमर्रा की जिन्दगी का रोजनामचा है। इसकी खासियत यही है कि कोई खास व्यक्ति इसमें शामिल नहीं है। सब आम लोगों के किस्से हैं।
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