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इश्क़, शरीर और समाज – जात से बिस्तर तक रिश्तों का सच
लेखक: अमित राज प्रसाद कुशवाहा
क्या प्रेम अब भी दिल से शुरू होता है या देह से होकर समाज की अदालत तक पहुँचता है?
यह पुस्तक प्रेम, वासना, रिश्तों, देह और सामाजिक बंदिशों के बीच उलझी उस स्त्री की सच्ची दास्तान है, जो कभी प्रेमिका बनी, कभी पत्नी, कभी माँ, और कई बार — सिर्फ़ एक शरीर। लेकिन क्या उसके भीतर सिर्फ़ भूख थी? या एक ऐसी आत्मा, जिसे समझा नहीं गया?
"इश्क़, शरीर और समाज" सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि उन अनुभवों का दस्तावेज़ है जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं — क्योंकि वे असहज हैं, सवाल करते हैं, और हमारी 'सुसंस्कृत चुप्पी' को तोड़ते हैं।
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