You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
यह किताब मूलतः धर्म, ईश्वर और इस ग्रह पर इंसान के अवतरण को तर्क की कसौटी पर परखने और इस पृथ्वी से बाहर हमारे लिये क्या-क्या संभावनायें हो सकती हैं— इस विषय पर है. इंसान ने पृथ्वी पर किस तरह जीवन शुरू किया, और किस तरह आगे बढ़ते हुये समाज बसाये और किस तरह इंसानों के बीच धर्मों की ज़रुरत महसूस हुई और उसने उन भगवानों, खुदाओं और आस्थाओं को जन्म दिया जो आज के उपलब्ध ज्ञान और तर्क के आगे धराशायी हो जाती हैं।
हम जिस दुनिया को जानते हैं, देखते हैं, वो थ्री डायमेंशनल है और इससे बाहर हम कुछ नहीं समझ सकते जबकि इससे बाहर ढेरों तरह की संभावनायें हो सकती हैं और यह यूनिवर्स सेल्फ मेड है या इसे किसी ने बनाया है— यह जानने का हमारे पास कोई साधन नहीं, लेकिन कई संभावनायें हैं जिन्हें हम टटोल सकते हैं।
और कैसा हो कि अगर यह मान लिया जाये कि वाकई कोई है जिसने एक प्रोग्राम की तरह इसे डिजाइन किया है तो वह तमाम तरह की आस्थाओं से परे विज्ञान और
टेक्नॉलोजी के नज़रिये से वह कैसा हो सकता है?
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book गॉड्स एग्ज़िस्टेंस.