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अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह

आनन्द कुमार आशोधिया
Type: Print Book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹307 + shipping
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Description

अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह
(सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक प्रतिरोध और भक्ति की लोकगाथा)
हरियाणवी रागणी केवल एक गायन शैली नहीं, बल्कि जनजीवन की आत्मा, संस्कृति की धड़कन और सामाजिक संवाद का माध्यम है। यह संग्रह हरियाणा की मिट्टी से उपजी उस लोकध्वनि को समकालीन चेतना, भक्ति भाव, और सामाजिक विवेक से जोड़ता है। लेखक श्री आनन्द कुमार आशोधिया ने हर रचना के साथ उसका भाव-वक्तव्य प्रस्तुत कर यह सुनिश्चित किया है कि पाठक रचना के मूल भाव को समझें — न कि केवल अपने अर्थ थोपें।
इस संग्रह में भक्ति, प्रतिरोध, स्मृति, नारी गरिमा और सांस्कृतिक पुनरुद्धार एक साथ बहते हैं। “दक्ष प्रजापति जयंती” जैसी रचना धार्मिक इतिहास को लोकभाषा में प्रतिष्ठित करती है, जबकि “किस्सा शाही लकड़हारा” में स्त्री की सहभागिता और आत्मबल की पुकार है। “बम लहरी” जैसे भजनों में शिवभक्ति और लोक उत्सव की ऊर्जा है, जो जन मंचों पर श्रद्धा और चेतना को जागृत करती है।
समकालीन विडंबनाओं पर तीखा व्यंग्य भी इस संग्रह की विशेषता है। “इंटरनेट मोबाइल खतरा” और “बदल गया इन्सान” जैसी रचनाएँ आधुनिकता के नाम पर फैलते अराजकता, धार्मिक पाखंड और नैतिक पतन पर करारा प्रहार करती हैं। ये रचनाएँ केवल आलोचना नहीं, बल्कि संस्कृति की रक्षा की पुकार हैं।

अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह केवल लोकगीतों का संकलन नहीं, बल्कि हरियाणा की आत्मा, उसकी सांस्कृतिक धड़कन और सामाजिक चेतना का जीवंत दस्तावेज़ है। लेखक श्री आनन्द कुमार आशोधिया द्वारा रचित यह संग्रह हरियाणवी रागणी की परंपरा को समकालीन सोच, भक्ति भाव और सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ता है। प्रत्येक रचना के साथ प्रस्तुत भाव-वक्तव्य पाठकों को रचना के मूल भाव से जोड़ता है, जिससे वे केवल अर्थ नहीं, बल्कि संवेदना को भी आत्मसात कर सकें।
इस संग्रह में विविध भावनात्मक और वैचारिक प्रवाह समाहित हैं:
भक्ति और आध्यात्मिकता: बम लहरी और दक्ष प्रजापति जयंती जैसी रचनाएँ शिव भक्ति और धार्मिक इतिहास को लोकभाषा में प्रतिष्ठित करती हैं, जनमानस में श्रद्धा और चेतना का संचार करती हैं।
सामाजिक प्रतिरोध और सुधार: किस्सा शाही लकड़हारा में नारी गरिमा और आत्मबल की पुकार है, जबकि इंटरनेट मोबाइल खतरा और बदल गया इन्सान जैसी रचनाएँ आधुनिकता के नाम पर फैलते अराजकता, धार्मिक पाखंड और नैतिक पतन पर तीखा व्यंग्य करती हैं।
सांस्कृतिक पुनरुद्धार और स्मृति: यह संग्रह भूले-बिसरे नायकों, लोक परंपराओं और ग्रामीण जीवन की नैतिकता को पुनर्जीवित करता है, हरियाणवी अस्मिता और मूल्यों में गर्व का भाव भरता है।
काव्य सौंदर्य और तकनीकी परिष्कार: लेखक की तीन दशकों से अधिक की साहित्यिक सेवा इस संग्रह में स्पष्ट रूप से झलकती है। प्रत्येक रचना को KOKILA 14 फॉन्ट में प्रस्तुत किया गया है, जिससे डिजिटल और प्रिंट दोनों संस्करणों में पठनीयता और सौंदर्य बना रहे।
यह पुस्तक परंपरा और नवाचार का संगम है। अविकावनी एक ऐसा प्रकाशन चिन्ह है जो पारदर्शिता, मौलिकता और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रतीक है—नवोदित लेखकों को मार्गदर्शन देते हुए लोकध्वनि की गरिमा को बनाए रखना इसका उद्देश्य है।
श्री आनन्द कुमार आशोधिया की लेखनी भाव, विचार और संवेदना का संगम है। उनका लेखन हरियाणवी लोक साहित्य को सामाजिक उत्तरदायित्व, आध्यात्मिक गहराई और सांस्कृतिक गरिमा से जोड़ता है। वे उन विरले रचनाकारों में से हैं जो लेखनी को साधना मानते हैं — और संस्कृति को अपनी आत्मा।
यदि आप लोक साहित्य प्रेमी हैं, आध्यात्मिक गहराई के अन्वेषक हैं, या सामाजिक परिवर्तन के प्रति सजग पाठक हैं—तो यह संग्रह आपके लिए है। यह आपको केवल सुनने नहीं, बल्कि आत्मचिंतन करने के लिए आमंत्रित करता है।

About the Author

लेखक परिचय: आनन्द कुमार आशोधिया
आनन्द कुमार आशोधिया एक सृजनशील कवि, लेखक और हरियाणवी लोक–संस्कृति के समर्पित संवाहक हैं। भारतीय वायुसेना में वारंट अफसर के रूप में 32 वर्षों की सेवा के बाद उन्होंने साहित्य को जीवन–धर्म बनाया। हिंदी राजभाषा के क्षेत्र में उन्हें आठ वर्षों तक सम्मानित किया गया।
हरियाणा के शाहपुर तुर्क गाँव में जन्मे और वर्तमान में मुंबई निवासी आनन्द जी ने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की, परंतु उनकी आत्मा सदा हिंदी और हरियाणवी लोकध्वनि में रची–बसी रही।
250 से अधिक रचनाओं के सृजनकर्ता, वे दो नाटकों में अभिनय कर चुके हैं और 11 साझा संकलनों में प्रकाशित हुए हैं। उनकी प्रमुख एकल कृतियाँ हैं: अधराजण, थारा मुद्दा थारी बात, हीर राँझा, किस्सा भगत पूरणमल, अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह, और द्रोपदी (प्रकाशनाधीन)। उनकी प्रिय रचना कारगिल गौरव गाथा राष्ट्रभक्ति और संवेदना का अद्भुत संगम है।
उन्हें हरियाणा संस्कृति गौरव रत्न, परमवीर सम्मान, शहीद उधम सिंह स्मृति सम्मान, हरयाणवी साहित्य रत्न 2025 सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
उनका दीर्घकालिक ध्येय है — हरियाणवी रागनी साँग किस्सों को भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर लोक–विरासत को राष्ट्रीय और वैश्विक मंच तक पहुँचाना।

Book Details

ISBN: 9789334424034
Publisher: Avikavani Publishers
Number of Pages: 262
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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