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किस्सा भगत पूरणमल–हरयाणवी लोक रागनी संग्रह-समीक्षा सहित

आनन्द कुमार आशोधिया
Type: Print Book
Genre: Self-Improvement, Poetry
Language: Hindi
Price: ₹269 + shipping
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Description

"किस्सा भगत पूरणमल" हरयाणवी लोक-साहित्य की अमूल्य धरोहर को नयी सांस देता है। यह केवल एक लोककथा का पुनःकथन नहीं, बल्कि छंद–शास्त्र, लोक–संवेदना और सांस्कृतिक विमर्श का अद्वितीय संगम है।
लेखक आनन्द कुमार आशोधिया ने संत–नायक पूरणमल की जीवनगाथा — त्याग, साधना, अन्याय, क्षमा और अध्यात्म से भरी — को हरयाणवी रागनी के रूप में सजाया है।

हर रचना में दो स्वर हैं — एक ओर लोक–काव्य की सहज, भावपूर्ण लय; दूसरी ओर तटस्थ, शोधयोग्य साहित्यिक समीक्षा। पिंगल शास्त्र की शुद्धता, हरयाणवी बोली का ठेठपन, और मंचीय प्रस्तुति की ऊर्जा — सब इस संग्रह में एक साथ मिलते हैं।
यह पुस्तक लोकगायकों, शोधकर्ताओं, साहित्यप्रेमियों और संस्कृति–संरक्षकों के लिए एक संदर्भ–ग्रंथ है, जो हरयाणवी साहित्य के पुनर्जागरण में मील का पत्थर साबित होगी।

About the Author

आनन्द कुमार आशोधिया — कवि, लेखक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि — हरयाणवी लोक–संस्कृति और छंद–काव्य के सशक्त संवाहक हैं।
भारतीय वायुसेना में वारंट अफसर के रूप में 32 वर्षों तक राष्ट्र सेवा करने के बाद, उन्होंने साहित्य को जीवन–धर्म बना लिया। अन्नामलाई विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर होने के बावजूद, उनकी आत्मा सदैव हिंदी और हरयाणवी लोकध्वनि में रची-बसी रही।

अब तक 250 से अधिक रचनाएँ, 11 से ज्यादा साझा संकलन, और कई सम्मान — जिनमें हरियाणा संस्कृति गौरव रत्न, कारगिल गौरव विजय सम्मान, और हरयाणवी साहित्य रत्न 2025 प्रमुख हैं — उनकी झोली में हैं।
उनका दीर्घकालिक संकल्प है कि हरयाणवी रागनी के अमर किस्से — हीर-रांझा, भगत पूरणमल, द्रोपदी, अधराजण — को राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई जाए।

उनके लिए लेखन केवल शब्दों का खेल नहीं — बल्कि साधना, संवाद और सांस्कृतिक संकल्प का जीवंत दस्तावेज़ है।

Book Details

ISBN: 9788198995285
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 241
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

Ratings & Reviews

किस्सा भगत पूरणमल–हरयाणवी लोक रागनी संग्रह-समीक्षा सहित

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