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द्रौपदी : एक लोक चेतना - रागनी, समीक्षा और पुनर्पाठ

आनन्द कुमार आशोधिया
Type: Print Book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹531 + shipping
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Description

द्रौपदी भारतीय महाकाव्य महाभारत की एक केंद्रीय स्त्री पात्र रही है, जिसे परंपरागत रूप से एक पीड़िता, प्रतिशोध की प्रतीक या धर्म की वाहक के रूप में देखा गया है। परंतु इस पुस्तक में द्रौपदी को एक लोक-नायिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है — जो हरियाणवी रागनी परंपरा में जन-मन की चेतना, प्रतिरोध और आत्मसम्मान की प्रतीक बनकर उभरती है।

लेखक आनन्द कुमार आशोधिया ने इस ग्रंथ में द्रौपदी के चरित्र को हरियाणवी रागनियों, लोक कथाओं और जनगीतों के माध्यम से पुनर्पाठित किया है। यह पुनर्पाठ केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। पुस्तक में द्रौपदी की छवि को लोक की दृष्टि से देखा गया है — जहाँ वह केवल एक पात्र नहीं, बल्कि एक विचार, एक चेतना और एक प्रतिरोध की आवाज़ बन जाती है।

पुस्तक तीन प्रमुख खंडों में विभाजित है:

रागनी संग्रह: इसमें हरियाणवी लोक कवियों द्वारा रचित द्रौपदी विषयक रागनियों का संकलन है। ये रचनाएँ द्रौपदी को एक साहसी, स्वाभिमानी और संघर्षशील स्त्री के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

समीक्षा खंड: इस भाग में लेखक ने रागनियों की शिल्पगत, भावगत और विमर्शात्मक समीक्षा की है। यहाँ द्रौपदी के चरित्र को स्त्री-विमर्श, लोक-संस्कृति और सामाजिक संदर्भों में विश्लेषित किया गया है।

पुनर्पाठ खंड: यह खंड द्रौपदी के चरित्र का पुनः मूल्यांकन करता है — जहाँ वह नारी अस्मिता, लोक प्रतिरोध और सांस्कृतिक पुनरावृत्ति की प्रतीक बनकर सामने आती है।

पुस्तक की भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और शोधपरक है। लेखक ने हरियाणवी लोक साहित्य की गहराई में जाकर द्रौपदी के चरित्र को पुनः गढ़ा है। यह कार्य केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रयास भी है।

यह पुस्तक उन पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो:

लोक साहित्य में रुचि रखते हैं

स्त्री विमर्श को लोक दृष्टि से समझना चाहते हैं

महाभारत के पात्रों का आधुनिक पुनर्पाठ करना चाहते हैं

हरियाणवी रागनी परंपरा का साहित्यिक मूल्यांकन करना चाहते हैं

लेखक ने द्रौपदी को एक जीवंत लोक चेतना के रूप में प्रस्तुत कर यह सिद्ध किया है कि लोक साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद और सांस्कृतिक प्रतिरोध का माध्यम भी है।

‘द्रौपदी: एक लोक चेतना – रागनी, समीक्षा और पुनर्पाठ’ एक ऐसी पुस्तक है जो पाठक को द्रौपदी के बहुआयामी स्वरूप से परिचित कराती है — जहाँ वह एक स्त्री, एक लोकनायिका और एक विचार बनकर उभरती है।

यह ग्रंथ हिंदी साहित्य, लोक संस्कृति और स्त्री विमर्श के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पाठकों के लिए एक अनमोल संदर्भ सामग्री है।

About the Author

लेखक परिचय
आनन्द कुमार आशोधिया (कवि, लेखक एवं लोक-संस्कृति संरक्षक)
व्यक्तित्व और कृतित्व का संगम
आनन्द कुमार आशोधिया — व्यक्तित्व और कृतित्व का वह अद्वितीय संगम हैं, जहाँ राष्ट्रीय अनुशासन का भाव हरियाणवी लोक-संस्कृति की गहरी संवेदना से एकाकार होता है। एक ओर उनका जीवन एक अनुशासित सैनिक के रूप में राष्ट्र सेवा का प्रतीक रहा है, वहीं दूसरी ओर वे एक सृजनशील साहित्यकार के रूप में लोक-ध्वनि के संवाहक बने हैं।
भारतीय वायु सेना में वारंट अफसर के रूप में वर्षों की अनुशासित सेवा उनके राष्ट्र-समर्पण का प्रमाण है। सेवाकाल के दौरान, उन्होंने लगातार आठ वर्षों तक राजभाषा प्रोत्साहन सम्मान से अलंकृत होकर प्रशासनिक स्तर पर हिंदी के संवर्धन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और मूल चेतना
श्री आशोधिया ने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की, परंतु उनकी रचनात्मक चेतना का मूल सदैव हिंदी और विशेष रूप से हरियाणवी लोक-भाषा व लोक-धुन में निहित रहा है।
आपका जन्म 01 अप्रैल को हरियाणा के गाँव शाहपुर तुर्क (जिला सोनीपत) में हुआ। आप स्व. श्री रघबीर सिंह एवं श्रीमती रतनी देवी की संतान हैं और वर्तमान में मुंबई में निवासरत हैं।
साहित्यिक अवदान और पहचान
सेवा-निवृत्ति के पश्चात आपने साहित्य को जीवन-धर्म बना लिया और हरियाणवी लोक-काव्य को अपनी लेखनी का केंद्र बनाया। उनकी साहित्यिक यात्रा 250 से अधिक रचनाओं की विशाल थाती है, जिसमें दोहा, गीत, गजल, लघुकथा, और विशेष रूप से हरियाणवी रागनी लेखन प्रमुख है।
उनकी प्रिय रचना "कारगिल गौरव गाथा" को राष्ट्रभक्ति और मानवीय संवेदना के अद्भुत समन्वय के रूप में व्यापक सराहना मिली है। इसके अतिरिक्त, आपने दो हरियाणवी नाटकों में अभिनय भी किया है, जो सांस्कृतिक माध्यमों पर लोकप्रिय हुए हैं। आप निस्वार्थी साहित्यिक मंचों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और 11 से अधिक साझा संकलनों में प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ
एकल पुस्तकें (लोक-काव्य और संग्रह)
• अधराजण — हरियाणवी किस्सा (रागनी साँग शैली में)।
• किस्सा भगत पूरणमल — रागनी संग्रह (समीक्षा सहित)।
• हीर राँझा – हरियाणवी लोक रागणी संग्रह (पिंगल समीक्षा सहित)।
• अविकावनी — हरियाणवी रागणी संग्रह।
• थारा मुद्दा थारी बात — हरियाणवी लघु कविता सँग्रह।
• द्रौपदी: एक लोक चेतना – रागनी, समीक्षा और पुनर्पाठ।
सम्मान और पुरस्कार अपने साहित्यिक योगदान के लिए आप अनेक सम्मानों से विभूषित किए गए हैं, जिनमें हरियाणा संस्कृति गौरव रत्न अवॉर्ड, कारगिल गौरव विजय सम्मान, परमवीर सम्मान, हरयाणवी साहित्य रत्न 2025, तिरंगा स्मृति सम्मान, और अति सक्रिय लेखक सम्मान प्रमुख हैं।
दृष्टि और ध्येय
श्री आनन्द कुमार आशोधिया का दीर्घकालिक साहित्यिक संकल्प है कि हरियाणवी रागनी साँग किस्सों की भावनात्मक और सांस्कृतिक विरासत को अकादमिक और कलात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर, इसे राष्ट्रीय एवं वैश्विक मंच तक पहुँचाया जाए। उनका लेखन केवल काव्य नहीं, अपितु संवाद, समीक्षा और सांस्कृतिक संकल्प का एक जीवंत दस्तावेज़ है। वे उन विरले रचनाकारों में से एक हैं जो लेखनी को साधना मानते हैं—और संस्कृति को अपनी आत्मा।

Book Details

ISBN: 9789334440584
Publisher: Avikavani Publishers
Number of Pages: 486
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Hard Cover (Case Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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