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“थारा मुद्दा थारी बात” एक सामाजिक चेतना से ओतप्रोत हरियाणवी छंदमुक्त लघु-कविता संग्रह है, जो हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण और शहरी भारत के 25 प्रमुख सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित है। कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बेरोज़गारी, जल संकट, महिला सुरक्षा, साइबर क्राइम, बाल श्रम जैसे ज्वलंत विषयों पर लिखी गई ये 100 लघु कविताएँ लोकभाषा की आत्मा में रची-बसी हैं। हर कविता केवल शब्द नहीं, समाज की पीड़ा, प्रश्न और परिवर्तन की पुकार है।
इस संग्रह की विशेषता इसकी भाषा और शैली है – जहाँ हरियाणवी बोली में संवेदना की गहराई, और छंदमुक्त लय में लोक की आवाज़ गूंजती है। यह किताब समाज को आईना दिखाने का कार्य करती है, जिसमें लेखक की दृष्टि केवल आलोचना नहीं, समाधान और संवाद की पहल है।
यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो कविता में नीति और नज़रिया दोनों ढूंढते हैं।
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