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अधूरापन, ये ज़िंदगी का वो हिस्सा है जिसे इंसान अपनी किस्मत से नकार नहीं सकता। फिर भी ज़िंदगी में कहीं न कहीं किसी न किसी मोड़ पर एक ऐसा इंसान आता है जिसके आने से ऐसा लगता है की ज़िंदगी की सारी जरुरते पूरी हो गई हैं। हमारी हर आदतों में वो सक्स शामिल हो जाता है। ये कहानी भी कुछ ऐसा ही है जिसका मुख्य किरदार ईशान 10 साल पहले अपना सब कुछ छोड़ कर मुंबई में अपनी किस्मत को तलाशने चला आया। लेकिन कहानी तब शुरू हुई जब किस्मत ने ईशान को अतीत में खींचना शुरू किया। अधूरापन, इस एक शब्द को मिली यही से वो प्रवाह जो आपके, मेरे और हम सब के बीच है। क्या है ये प्रवाह? उसका जवाब सिर्फ किताब में है।
Great Novel
Great Book Sir, I read this book full aur aisa lga ki jaise aap is yug Mahan lekhak hain