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भारतवर्ष जो सदियों से पश्चिमी देशों का निशाना बनी रही है। 8वीं सदी में अरबों ने लगातार भारत पर कई आक्रमण किए जिनमें वे पूरी तरह नाकाम हुएं जिसके कारण थे सिंध के महान शासक सम्राट दाहिर सेन, जो कश्मीरी ब्राह्मण वंश के तीसरे राजा थें। सिंध उस वक्त पश्चिम में मकरान तक, दक्षिण में अरब सागर तक, पूर्व में राजपुताने तक और उत्तर में मुल्तान सहित दक्षिणी पंजाब तक अपने वैभव को फैलाए हुए था। एक तरफ इस्लाम अपने उदय से ही विस्तारवादी था और दूसरी ओर अरबों की दयनीय दशा थी जिसका सुधार केवल सोने की चिड़िया के पंखों को नोच कर ही किया जा सकता था। आठवीं सदी का यह दुखद कालखंड था जब धार्मिक साम्राज्यवादिता हजारों साल पुरानी सभ्यता और संस्कृति को तलवार की नोंक पर नष्ट कर देने के लिए उद्यत हो गई थी। आखिर क्या हुआ था उस दौर में? कौन थे सम्राट दाहिर? जिसे भारत के वामपंथी इतिहासकारों ने इतनी गुमनामी प्रदान की? तो पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र के अतीत को ही नकार दिया। वो महान इतिहास, एक खण्ड काव्य के रूप में आपके लिए प्रस्तुत है, "सिंधपति दाहिर : 712 AD"।
Great Book Sir, I read this book full aur aisa lga ki jaise aap is yug Mahan lekhak hain
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Best book for you all time, on Indian history and culture. Best wishes for you