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“के कहणा” हरियाणवी संस्कृति, लोक-जीवन और भावनाओं का सजीव चित्रण प्रस्तुत करने वाला एक सुगंधित काव्य-संग्रह है।
एडवोकेट नीलम नारंग ने अपनी कलम से हरियाणे की मिट्टी, बोली, रीत-रिवाज़, और जनभावनाओं को कविताओं में इस तरह पिरोया है कि पाठक को अपने गाँव, अपनी जड़ों और अपनी मातृभूमि से जुड़ाव महसूस होता है।
इस काव्य-संग्रह में स्त्री की संवेदनशीलता, समाज की यथार्थता, प्रेम, परिवार, प्रकृति और मानवीय रिश्तों की गहराई को सहज और प्रभावशाली शब्दों में व्यक्त किया गया है।
हर कविता में हरियाणवी बोली की मिठास और दिल से निकली भावनाओं की सच्चाई झलकती है।
लगभग 90 कविताओं और 10 मुक्तकों से सुसज्जित यह संग्रह हरियाणवी भाषा को नया आयाम देता है और लोक-संवेदना को साहित्यिक ऊँचाई पर ले जाता है।
“के कहणा” सिर्फ कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि हरियाणे की आत्मा का भावनात्मक दस्तावेज़ है।
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