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लोकनायक महावीर लोरिक: प्रेम और पराक्रम की अमरगाथा
यह कहानी एक योद्धा की है — जिसने अपने बाहुबल और क्रांतिकारी विचारों से एक साम्राज्य को चुनौती दी।
लोरिक ने न केवल क्रूर सामंत मोलागत और स्कंदगुप्त के साथ मिलकर हूणों को पराजित किया, बल्कि प्रेम और विवेक के बल पर एक नए समाज ‘लोक-धर्म’ की स्थापना की।
महावीर लोरिक की यात्रा केवल युद्ध की नहीं है;
वह जाति, पितृसत्ता और रूढ़ियों की जंजीरों को तोड़कर सामाजिक न्याय का प्रतीक बनता है।
उसका प्रेम (मंजरी) उसकी कमजोरी नहीं, बल्कि लोक-कर्तव्य की सबसे बड़ी शक्ति है।
यह उपन्यास सिखाता है कि —
असली पराक्रम हथियार उठाना नहीं,
बल्कि अपने ही समाज की जड़ हो चुकी रूढ़ियों को प्रेम और विवेक से तोड़ना है।
क्या आप उस नायक की अमरगाथा के साक्षी बनने को तैयार हैं,
जिसने प्रेम को ही सबसे बड़ा धर्म बना दिया?
पुस्तक समीक्षा: लोकनायक That's लोरिक – प्रेम और पराक्रम की अमरगाथा
यह पुस्तक एक प्रेरक और हृदयस्पर्शी कृति है जो भारतीय लोकसंस्कृति के अमर नायक महावीर लोरिक की वीरता और प्रेमगाथा को जीवंत कर देती है। पुस्तक में नायक का साहस, सच्चा प्रेम और अन्याय के खिलाफ उनकी जंग बेहद संवेदनशील और प्रभावशाली ढंग से चित्रित की गई है। लेखक ने लोककथाओं, इतिहास और भावना को इस तरह जोड़ा है कि पाठक कहानी में डूब जाता है। सरल भाषा, रोचक वर्णन और लोकजीवन की सच्ची झलक इस पुस्तक को खास बनाते हैं। यह किताब सिर्फ एक योद्धा की कथा नहीं, बल्कि इंसानियत, प्रेम और न्याय के प्रति समर्पण की मिसाल है — जो हर पाठक के दिल में लंबे समय तक असर छोड़ती है।