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मृत्यञ्जय ( प्रलयंकर रुद्र ) काव्य है भगवान शिव की एक ऐसी महान गाथा जो एकदम नयी तथा अनूठी है।पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए जब प्रकृति पुरुष मूर्त रूप लेते हैं, तब जन्म लेती हैं ऐसी-ऐसी अनेक हैरतअंगेज घटनाएँ जो पाठकों को दांतों तले उँगली दबाने को विवश कर देती हैं। जैसे प्रकृति पुरुष का प्रथम मिलन, धरती पर जीवन की उत्पत्ति, धरती का प्रथम युद्ध, विशालकाय डायनासोरों का मानव बस्तियों पर आक्रमण, सती मरण, रुद्र के प्रतिशोध से डायनासोरों का धरती से विनाश, शंकर द्वारा प्रेत पिशाचों का संरक्षण तथा हिम पर्वत से गंगा के द्वार को खोलना, धरती पर देवों असुरों द्वारा परमाणु हथियार हाशिल करना तथा विश्व युद्ध में भगवान शिव का सैन्य नेतृत्व एवं शिव द्वारा विषपान आदि ऐसी अविस्मरणीय गाथाएँ जो प्रथम पृष्ठ से अंतिम पृष्ठ तक पाठकों को नजरें हटाने का अवसर नहीं देंगीं।
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