You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
Also Available As
₹ 50
₹ 50
बिन बच्चों के हर उत्सव में
खाली लगता है प्याला
नशा नहीं दे पाती कुछ भी
दूजी और कोई हाला
समाचार गर मिल जाता है
पापा हम आने वाले हैं
रंग रंगीला उत्सव होता
खिल जाती है मधुशाला
‘‘बच्चों की मधुशाला’’ बच्चों की गतिविधियों पर लिखी गई एक काव्य माला है ।
‘‘हर पल मस्ती में जीता है, केवल बचपन का प्याला’’ यह इसका आधार है ।
बहु आयामी रंगों से रंगी इस काव्य माला में बच्चों की मस्तियों का चित्रण कुछ इस तरह है - ‘‘बिन पायल के रूनझुन होती, ठुमक ठुमक जब चलता है’’ या ‘‘मस्ती में चलता है ऐसे, से पी ली हो हाला’’ ।
मां के महत्व को ऊँचाइयां कुछ इस तरह दी गई हैं - ‘‘दुनिया निर्जन हो जाती, गर माँ ये पीड़ा ना सहती’’ ।
बच्चों के समुचित विकास के लिए कुछ, प्यारे-प्यारे सुझाव हैं - ‘‘ अधिकार सभी को खुश रहकर, दुनियां में जीने का है, तुलना से मत कुंठित करना, हंसती खिलती मधुशाला’’...
एक लम्बे अर्से बाद, हिन्दी साहित्य में, इतना प्रभावशाली काव्य पढ़ने मिला । मंत्र मुग्ध करने वाली रूबाईयों से सजी, इस काव्य-माला की कोई न कोई रूबाई हर पाठक के...
Re: बच्चों की मधुशाला
BACHCHON KI MADHOOSHALA IS AN AMAZING COLLECTION OF LITERARY WORK. I HAVE A CHILD AND WHILE GOING THROUGH THE STANZAS ONE AFTER ANOTHER I JUST COULD'NT RESIST GOING TO THE...