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काठगोदाम एक्सप्रेस एक ऐसी कहानी है, जो भीड़ में खड़े हर उस इंसान की है,
जो सपने तो बड़े देखता है, लेकिन हालात से रोज़ लड़ता है।
यह उपन्यास किसी असाधारण नायक की नहीं,
बल्कि हमारे-आप जैसे साधारण लोगों की कहानी है—
जिनकी ज़िंदगी में रिश्ते हैं, अधूरी मुलाक़ातें हैं,
कह न पाए जज़्बात हैं और समय की रफ़्तार में छूटती पहचानें हैं।
कहानी के किरदार भले ही काल्पनिक हों,
लेकिन उनकी भावनाएँ, संघर्ष और सवाल पूरी तरह वास्तविक हैं।
हर पन्ने पर पाठक खुद को, अपने आसपास के लोगों को
और अपनी ज़िंदगी के किसी न किसी मोड़ को महसूस करेगा।
काठगोदाम एक्सप्रेस सिर्फ़ एक सफ़र नहीं,
यह उन पलों की दास्तान है जहाँ
नज़रें मिलती हैं, शब्द मिलते हैं,
लेकिन पहचान कहीं अधूरी रह जाती है।
यह उपन्यास उन पाठकों के लिए है
जो कहानियों में सिर्फ़ मनोरंजन नहीं,
बल्कि अपनी ज़िंदगी की झलक तलाशते हैं।
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