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शब्दों की गहराइयों से निकली "खामोश लफ्ज़" सिर्फ़ एक शायरी की किताब नहीं, बल्कि जिंदगी, दर्द, मोहब्बत और हौसले का संगम है। हर शेर और ग़ज़ल दिल के जज़्बातों को बयां करते हैं, जो किसी न किसी मोड़ पर आपके एहसासों से जुड़ जाएंगे।
यह किताब उन लफ्ज़ों का आईना है, जो कभी कहे नहीं गए, मगर महसूस किए गए। कभी यह मोहब्बत की मीठी धुन छेड़ेगी, तो कभी बिछड़ने की कसक दिल में उतर आएगी। कभी यह प्रेरित करेगी, तो कभी खामोशियों की गूँज बनकर रूह को छू जाएगी।
अगर आप शायरी के शौकीन हैं और एहसासों की दुनिया में खो जाना पसंद करते हैं, तो यह किताब आपके लिए ही है।
लेखक: जसप्रीत सिंह अठवाल
Jyoti
मैंने हाल ही में "खामोश लफ्ज़" पढ़ी और सच कहूं तो यह सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि जज़्बातों का आईना है। जसप्रीत सिंह अठवाल ने हर शेर और ग़ज़ल में...