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खामोश लब्ज़

खामोश लब्ज़

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Prernapath 8 months, 3 weeks ago

Jyoti

मैंने हाल ही में "खामोश लफ्ज़" पढ़ी और सच कहूं तो यह सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि जज़्बातों का आईना है। जसप्रीत सिंह अठवाल ने हर शेर और ग़ज़ल में इतनी गहराई भर दी है कि पढ़ते-पढ़ते लगा जैसे ये अल्फ़ाज़ मेरे अपने एहसास बन गए हों।

किताब में मोहब्बत की मिठास भी है, दर्द की कसक भी, और जिंदगी के संघर्षों की प्रेरणा भी। कुछ शेर तो इतने खूबसूरत हैं कि बार-बार पढ़ने का मन करता है। यह किताब उन लोगों के लिए एक तोहफ़ा है जो शायरी को सिर्फ़ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल से महसूस करना चाहते हैं।