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वाराणसी की पावन नगरी में एक ऐसे योगी का जन्म हुआ, जो गंगा पर तैर सकते थे, विषपान करने पर भी अडिग रहते थे, और जिनके मौन में हजारों साधनाओं की शांति झलकती थी।
त्रैलंग स्वामी, जिन्हें काशी का "जीवंत शिव" कहा गया, आज भी करोड़ों साधकों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
यह पुस्तक उनके अद्भुत जीवन, चमत्कारों और अमर शिक्षाओं का विस्तृत परिचय प्रस्तुत करती है। इसमें इतिहास, अध्यात्म और भक्ति का ऐसा संगम है, जो पाठक को न केवल स्वामीजी के बारे में जानने का अवसर देता है, बल्कि आत्मिक यात्रा में उनकी उपस्थिति का अनुभव भी कराता है।
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