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मैं और मेरा मन, मेरे और मन के बिच हूई र्वातालाप का छन्द विहिन काव्य रूप है। यह काव्य बहूत से बहूत आम शब्दों का समीसरण है। मेरी नजर मे काव्य का अर्थ हैं कम शब्दों मे रोचक पूर्ण तरीके से अपनी लम्बी बात को अपने अनूभवों को न सिर्फ किसी के मस्तिष्क तक बल्कि दिल के आखिरी तह तक हूँ ब हूँ पहूँचा देना। यहा “मैं” शब्द का अर्थ सिर्फ मूझसे नही या “मेरा मन” का अर्थ भी सिर्फ और सिर्फ मेरे मन से नही है। यहा “मैं” तूम हो कोई तिसरा है चौथा है कभी कभी मैं खूद भी और “मेरा मन” उस चौथे उस तूम या मेरे साथ का चलन्त दर्पण है।
जीवन रह मे अलग अलग जगहो पर मौजूद अलग अलग रूपो को एकल जीवन मे पिरो कर इस काव्य की रचना हूई है। चौदह छोटे बड़े खण्डो में बनाई ईस काव्य रूप में मेरी कोशिस रही हैं जीवन के विभिन्न रूपो को दिखाने की। एक सरल जीवन में हूई छोटी छोटी घटनाओं एंव उनके प्रभाव मूझपे और मेरे मन के ऊपर क्या पड़ता है यही लिखने का प्रयत्न हमने किया है।
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