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समीक्षा, साहित्य के तार्किक विस्तार की वैज्ञानिक प्रक्रिया है। यह साहित्य का नवनीत है, सार तत्व है, साहित्य के अथाह महासागर के गहन मन्थन से प्राप्त होने वाला वह दिव्य अमृत है जो सृष्टि की किसी भी कृति के लिये अमरत्व का मार्ग सहज प्रशस्त कर सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘कृतियों की चहल-पहल’ एक ऐसी विधा की प्रतिनिधि होकर सामने आई है जिस पर देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके सहस्त्राधिक समीक्षा प्रकाशनों की चहल-पहल दृष्टिगत होगी।
पुस्तक ‘कृतियों की चहल-पहल में 5 समीक्षाएँ कहानी संग्रह, 3 काव्य संग्रह एवं 5 आलेखों की पुस्तक से सम्बन्धित हैं। एक लघुकथा की पुस्तक एवं एक बृहद रचनावली की समीक्षा सहित कुल 15 पुस्तकों की समालोचना इस संग्रह में पढ़ने को मिलेंगीं।
यूँ तो सम्पूर्ण साहित्य जगत, ऐसी कृतियों से लाभान्वित होता है, परन्तु नवोदित साहित्यकारों-समीक्षकों के लिये यह संग्रह‘कृतियों की चहल-पहल ’विशेष ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और मार्ग दर्शक सिद्ध होगा।
भवदीय-
मदन मोहन शर्मा‘अरविन्द
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