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यह पुस्तक पीएचडी थीसिस से बनाई गई है. लेखक ने इसके आधार पर ही अपनी पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी. इस पुस्तक में सिद्ध किया गया है कि कैसे प्राचीन उपनिषदें राजयोग की जननी हैं, और अर्वाचीन उपनिषदें राजयोग की संतानें हैं. साथ में, यह पुस्तक ज्ञानमयी दार्शनिक चर्चाओं से ओतप्रोत है. आशा है कि पतंजलि योग और राजयोग के जिज्ञासुओं को यह पुस्तक बहुत लाभदायक प्रतीत होगी.
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