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काव्य और प्रेम
व्यक्ति की अपने चरित्र, व्यक्तित्व, अंतरात्मा से समाज के प्रति कुछ योगदान देने हेतु प्रेरित करने में काव्य अहम योगदान देती है |
व्यक्ति को किसी भी चीज व्यक्ति या कार्यों से प्रेम होने में और उससे लगाव होने को शब्दों के रूप में बयां करने से और असाधारण शब्द प्रयोजन के मिलाप से अंत में काव्य का निर्माण होता है |
काव्य अपने आप ही रचती है उसको आप कार्य के रूप में नहीं देख सकते बल्कि वह कार्य को दिखाती है , यानी की वह प्रेम, कला, समर्पण, तपस्या आदि गुना का एक ऐसा सहयोग है, जिसको आप इच्छा होने के बावजूद भी आंखों से जुदा नहीं कर सकते | वह आपके भीतर के उस इंसान को जगाए रखने का कार्य करती है ,जो मनुष्य को अन्य जीवित जीव जंतु और प्राणी से अलग बनाता है |
इस पुस्तक में आपको प्रेम संयोग ,गलती, अपनापन, जुदाई प्रेम संबंध एवं प्रकृति आदि विषयों का बहुत ही सरल शब्दों में प्रयोजन करके उसके रस को निखारने का प्रयास किया गया है | इस पुस्तक की हर एक कविता आपकी अविस्मरणीय यादों को फिर से ताज़ा कर देगी |
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