डॉ. गौरव कुमार मिश्र हिंदी विभाग, धनौरी पी.जी. कॉलेज, हरिद्वार, उत्तराखंड में कार्यरत हिंदी भाषा और साहित्य विषय के सहायक आचार्य हैं। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश से स्नातक हिंदी (ऑनर्स), परास्नातक (हिंदी साहित्य), विद्या वाचस्पति (पीएचडी) "समकालीन हिंदी उपन्यासों में आदिवासी जीवन" विषय पर किया हैं। इसके अतिरिक्त महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से बीएड, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज से संस्कृत विषय में एकल स्नातक की उपाधि प्राप्त किया।
इन्होंने यूजीसी द्वारा आयोजित नेट (जेआरएफ), उत्तर प्रदेश स्लेट, यूपी टेट, सीटेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की हैं। इनके द्वारा लिखित प्रतिष्ठित पत्र–पत्रिकाओं में हिंदी साहित्य और विर्मश आधारित 15 से अधिक शोध–पत्रों का प्रकाशन हुआ हैं।
संपादकीय पुस्तकों में भी इनके द्वारा लिखित 6 अध्याय (पुस्तक अध्याय) के रुप में प्रकाशित किए जा चुके हैं। समय–समय इनके द्वारा 30 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भी प्रतिभाग करके शोध–पत्र प्रस्तुत किया गया हैं। हिंदी साहित्य के कथा साहित्य और विर्मश आधारित साहित्य में इनकी विशेष रुचि रही हैं।
इनके द्वारा उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, हरिद्वार, उत्तराखंड के द्वारा संपोषित "हिंदी भाषा के विकास में संस्कृत साहित्य का योगदान" और "संस्कृत साहित्य में तनाव प्रबंधन के विविध स्वरुप" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न कराया गया है। "डिजिटल युग में हिंदी साहित्य और भाषा" और "हिंदी साहित्य और भारतीय ज्ञान परंपरा" नामक प्रकाशित दो पुस्तकों में भी संयुक्त रुप से लेखक के रुप में योगदान दिया है।
ISBN: 9788199540309
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 170
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding:
Paperback (Perfect Binding)
Availability:
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