Description
"हरियाणवी जिंदाबाद!"
परिचय: "हरियाणवी जिंदाबाद!" एक अनूठा लघुकविता संग्रह है, जिसमें हरियाणवी भाषा, संस्कृति और विरासत का भरपूर समावेश किया गया है। यह कृति हरियाणवी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान करती है और इसे साहित्यिक प्रयोगों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है। इस पुस्तक का उद्देश्य हरियाणवी भाषा की समृद्धि को उजागर करना और लघुकविता के माध्यम से हरियाणवी जनजीवन की झलक प्रस्तुत करना है।
पुस्तक की विशेषताएँ:
• हरियाणवी भाषा का प्रयोग: संकलन में समस्त कविताएँ हरियाणवी भाषा में लिखी गई हैं, जो इसकी मौलिकता को दर्शाती हैं।
• विषय की विविधता: संग्रह में हरियाणवी संस्कृति, रहन-सहन, बोलचाल, आभूषण, पशु-पक्षी, घरेलू जीवन आदि विभिन्न पहलुओं को समाहित किया गया है।
• कवियों का योगदान: इस पुस्तक में 24 प्रसिद्ध हरियाणवी लघुकविताकारों ने योगदान दिया है, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हरियाणवी जनजीवन का सजीव चित्रण किया है।
• अनूठे प्रयोग: यह संग्रह हरियाणवी भाषा में लघुकविता लेखन का एक अभिनव प्रयास है, जिसमें कई प्रयोग किए गए हैं, जैसे—संवाद शैली, संबोधन शैली, मनोविश्लेषण, प्रतीकात्मक भाषा आदि।
• संस्कृति की झलक: यह कृति हरियाणवी संस्कृति की समृद्ध धरोहर को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती है, जिससे पाठकों को हरियाणा की परंपराओं और जीवनशैली का गहन ज्ञान प्राप्त होगा।
महत्व और उद्देश्य:
लघुकविता आज के समय में एक लोकप्रिय साहित्यिक विधा बन चुकी है। यह विधा पाठकों को कम समय में सारगर्भित और प्रभावशाली साहित्य प्रदान करती है। "हरियाणवी जिंदाबाद!" इसी उद्देश्य से रचित है, जिससे पाठक हरियाणवी संस्कृति और भाषा के सौंदर्य से परिचित हो सकें। यह पुस्तक न केवल हरियाणा की जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि लघुकविता के क्षेत्र में नए प्रयोगों को भी प्रोत्साहित करती है।
पाठकों से निवेदन:
हम आशा करते हैं कि यह कृति हरियाणवी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाएगी और पाठकों को एक नई दृष्टि से हरियाणवी भाषा व संस्कृति को देखने का अवसर प्रदान करेगी। आप सभी से अनुरोध है कि इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें और हरियाणवी साहित्य को समृद्ध करने के इस प्रयास में सहभागी बनें।
धन्यवाद!
आपका,
डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चंद्रकवि', रोहतक
हिंदी प्रवक्ता, अध्यक्ष: शैली साहित्यिक मंच, हरियाणा
दूरभाष: 9671559666
लघुकविता आज के परिवेश में प्रचलित विधा हो गई है। इसका कारण है कि आज युवावर्ग, बाल, वरिष्ठ सभी अपने कार्यों में इतना व्यस्त है कि वे समय नहीं दे पाते, वे बड़ी विधा को पढ़ सके और मनन चिंतन कर सके, लेकिन क्योंकि साहित्य जीवन का पर्याय है, जीवन से जुड़ा रहता है इसलिए साहित्य के बिना हम संवेदनाओं और अनुभूतियों से दूर हो जाते हैं। इसलिए लोग पढ़ते तो हैं, पाठक तो हैं लेकिन उन्हें समय कम है। इसलिए लघुकविता लघुनाटक लघुउपन्यास आदि विधाए प्रचलित हो गई।
लघुकविता पर बहुत से विद्वानों ने प्रयोग किए, ऐसी बात नहीं है कि यह नई विधा है लेकिन फिर भी आज के दौर में कई लोगों ने काफी मेहनत की है, जिनके परिणामस्वरुप यह हुआ कि एक नया युग और रूप लघुकविता का हमारे सामने आया।
जहां तक हमने लघुकविता पर चिंतन मनन किया है और अपने सहयोगियों से विचार विमर्श किया है, लघु कविता संग्रह "चांद जमीं पर" आया, उससे पहले कलम तो बोलेगी, आए।
लघुकविता में प्राय तुकांत नहीं रहती है, लेकिन उसमें गति का होना अनिवार्य है।
दूसरा यह लगभग 10 पंक्तियों की इसलिए रखी गई है क्योंकि इससे बड़ी आकर में कविता जैसी हों जाएगी। फिर भी ज्यादा बड़ी कविता लघु कविता नहीं रह पाती और एक कविता में कई विचारधारा उत्पन्न हो जाती हैं।
इस कारण से लघु कविता को छोटा कर देना नितांत आवश्यक है।
इससे भी बड़ी बात यह है कि लघुकविता में एक ही विचार हो या एक ही भाव हो या एक ही अवधारणा हो या एक ही घटना हो या एक ही चित्र हो, चित्र भले ही छोटे-छोटे हो सकते हैं लेकिन एक छोटा सा खंड हो। एक कविता में कई कविता ना हो। वही लघुकविता है।
हमने लघुकविता के जो साझा संग्रह निकले या स्वयं भी लिखी।
इनमें कई प्रयोग किए गए ।
हमने केवल लघुकविता को निराश और नीरस नहीं रहने दिया; इसमें सांकेतिक भाषा का प्रयोग, हल्के से अलंकार प्रयोग, इसके अतिरिक्त प्रतीक, मुहावरा, इतना ही नहीं इस कविता के छोटे से कलेवर में हमने नाटकीयता पुट की, कही वर्णन शैली, संवाद, विश्लेषण, मनोविश्लेषण और मैं शैली का भी प्रयोग किया।
इसके अतिरिक्त संबोधन शैली का भी प्रयोग किया गया है।
जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि जा सकती है। ऐसा पहले देखने को नहीं आया केवल लघुकविता को लोग वर्णनात्मक ही लिख रहे थे। हमने जैसे ही कलम तो बोलेगी और "चांद जमीं पर.."लघुकविता साझा संग्रह पर कई प्रयोग किया, उसमें कई चीज निकल कर आई जो मैंने आपको यह वर्णित की है।
प्रेम के न जाने कितने रूप उस साझा संग्रह में देखने को मिले।
चाहे राष्ट्र प्रेम, प्रकृति प्रेम, मानव प्रेम, माता-पिता,भाई बहन..आदि आदि।
इतना ही नहीं विषय की विविधता के साथ-साथ कई शैलियों का भी प्रयोग किया गया जो अपने आप में एक अनुपम कृति सिद्ध होगी।
अब हम बात करते हैं "हरियाणवी जिंदाबाद!" हरियाणवी लघुकविता साझा संग्रह की।
लघुकविता की प्रयोगशाला में बहुत से नई कवियों ने लघुकविता लिखना सीखा, यह मेरा महती प्रयास कह सकते हैं। उन्हीं के आधार पर हरियाणवी को विशेष दर्जा दिलाने या कहे कि महत्व बढ़ाने और उसका विकास, संवर्धन करने के लिए हमने एक और प्रयोग किया।
लघुकविता को हरियाणवी बोली में या भाषा कहीं उसकी ओर मोड़ दिया।
कई साथियों ने कोशिश की, कुछ में परिष्कार भी किया गया और एक शुद्ध परिमार्जित परिष्कृत हरियाणवी लघुकविताएं सामने आई।
"हरियाणवी जिंदाबाद!" एक ऐसा लघुकविता संग्रह है जिसमें सभी रचनाएं हरियाणवी में लिखी गई हैं। हरियाणवी संस्कृति का जिक्र किया गया है। हरियाणवी पहनावा हरियाणवी, बोलचाल, बोली, शब्दावली, पशु, पक्षी , आभूषण, घरेलू सामान आदि आदि। इसमें एक विशेष बात यह रहेगी इस कृति को पढ़ने से हमें हरियाणवी संस्कृति का लगभग पूरा ज्ञान हो जाता है और एक विरासत के रूप में यह कृति अपने आप में सिद्ध होगी।
इस पुस्तक में 24 प्रसिद्ध हरियाणवी में लिखने वाले लघु कविताकारों ने भाग लिया।
संपादक मंडल ने अपना कर्तव्य अच्छे से निर्वहन किया।
मैं संपादक डॉक्टर चंद्रदत्त शर्मा “चंद्रकवि” रोहतक इस होली के पावन पर्व पर प्रकाशित होने वाली हरियाणवी लघु कवितारों का साझा संग्रह हरियाणवी जिंदाबाद जो की नाम से ही सार्थक है सभी लघु कविता करो और सुधि पाठक जनों को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि इस पुस्तक को अवश्य पढ़े और हरियाणवी संस्कृति साहित्य हरियाणवी की जो जड़े हैं उनकी रचनाओं में है उनसे अवश्य लाभान्वित हो और कृति के साथ न्याय करें।
धन्यवाद!
आपका
संपादक डॉक्टर चंद्रदत्त शर्मा चंद्रकवि रोहतक,
हिंदी प्रवक्ता अध्यक्ष: शैली साहित्यिक मंच, हरियाणा।
दूरभाष: 9671559666
ISBN: 9788198624222
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 128
Dimensions: 5.50"x8.50"
Interior Pages: B&W
Binding:
Paperback (Perfect Binding)
Availability:
In Stock (Print on Demand)