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“चंद्रदत्त से चंद्रकवि तक (आत्मकथा)” डॉ. चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ की जीवन यात्रा का प्रेरक वृत्तांत है — एक साधारण बालक से लेकर एक प्रतिष्ठित कवि, साहित्यकार और अध्यापक बनने तक का सफर। यह आत्मकथा जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्षों, पारिवारिक आघातों, और सामाजिक अनुभवों की सजीव झांकी प्रस्तुत करती है।
डॉ. शर्मा ने इस कृति में अपने बचपन की निश्छलता, युवावस्था के संघर्ष, साहित्यिक साधना और मानवता के प्रति अपने गहरे भावों को अत्यंत सच्चाई और संवेदनशीलता के साथ उकेरा है। यह पुस्तक केवल आत्मकथा नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।
इस रचना में हरियाणवी संस्कृति, मानवीय मूल्य, और हिन्दी साहित्य के प्रति डॉ. शर्मा का समर्पण गहराई से झलकता है। प्रत्येक पृष्ठ पाठकों को अपने जीवन से जोड़ने का सामर्थ्य रखता है, और यह संदेश देता है कि सच्चा कवि वही है जो जीवन की विपत्तियों को भी कविता में बदल दे।
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