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हरियाणवी लोकभाषा और संस्कृति की आत्मा को अपने सृजन में समाहित करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चंद्रकवि' की यह पुस्तक "मेरे हरियाणवी गीत" एक अमूल्य साहित्यिक भेंट है। इस संग्रह में हरियाणवी लोकजीवन की खुशबू, धार्मिक आस्था, सामाजिक चेतना, और सांस्कृतिक परंपराओं का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।
लेखक की लेखनी केवल मनोरंजन नहीं, अपितु मार्गदर्शन भी प्रदान करती है। गीतों और भजनों के माध्यम से उन्होंने न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त किया है, बल्कि सामाजिक विडंबनाओं, मानवीय मूल्यों और लोक-जीवन की सच्चाइयों को भी उजागर किया है।
डॉ. शर्मा का साहित्यिक योगदान अत्यंत समर्पित और व्यापक है। उन्होंने हरियाणवी के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। उनकी शैली सहज, प्रवाहपूर्ण और जनमानस के हृदय से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि उनकी रचनाएं केवल पठन की वस्तु नहीं हैं, अपितु मंचीय प्रस्तुति और जनगायन के रूप में भी लोकप्रिय हैं।
यह संग्रह न केवल हरियाणा की मिट्टी की खुशबू से सराबोर है, बल्कि इसमें अध्यात्म, भक्ति, प्रेरणा और देशप्रेम के स्वर भी मुखर हैं। "मेरे हरियाणवी गीत" पाठकों को आत्मिक शांति, सांस्कृतिक गौरव और भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव कराएंगे।
आशा है कि यह पुस्तक हर वर्ग के पाठकों को प्रिय लगेगी और हरियाणवी साहित्य को एक नई पहचान दिलाएगी।
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