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म्हारा हरियाणा (हरियाणवी कविताएं) साझा-संग्रह

डॉ. चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
Type: Print Book
Genre: Literature & Fiction, Poetry
Language: Hindi
Price: ₹299 + shipping
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Description

"म्हारा हरियाणा" एक ऐसा काव्य-संग्रह है, जिथे हरियाणा की माटी की सौंंधी खुशबू, बोली की मिठास और लोक-संस्कृति की गहराई—सब एक साथ महसूस होगी। इस पुस्तक में हरियाणवी कविताएं न केवल गाम-खेत की ज़िंदगी, रीति-रिवाज और परंपराओं को सजाती हैं, बल्कि हरियाणा की वीरता, अपनापन और जज़्बातों को भी शब्द देती हैं।

डॉ. चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ द्वारा संपादित यह संग्रह अनेक रचनाकारों के मन की सच्ची आवाज़ है। इसमें बचपन की यादें, खेत-खलिहान के दृश्य, लोक-त्योहारों की रौनक, और हरियाणवी संस्कृति की झलक पाठकों को सीधे अपनेपन से जोड़ देती है।

हर कविता में कहीं हास्य है, कहीं भावुकता, कहीं गांव का गौरव तो कहीं समाज को आईना दिखाती हुई बात—यानी हरियाणा का असली रंग।

"म्हारा हरियाणा" सिर्फ पढ़ने भर की किताब नहीं, बल्कि यह हरियाणा के दिल की धड़कन है, जो हर पाठक को अपनी जड़ों की याद दिला देगी।

About the Author

डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चंद्रकवि' का जन्म 22 अप्रैल 1973 को हरियाणा के रोहतक जिले के ग्राम ब्राह्मणवास में हुआ। वे हिंदी साहित्य के एक प्रख्यात रचनाकार और विद्या वाचस्पति हैं। उन्होंने हिंदी में एमफिल, पीएच.डी. और बी. एड. की शिक्षा प्राप्त की है और वर्तमान में हिंदी प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।
डॉ. शर्मा ने हिंदी साहित्य और हरियाणवी साहित्य की सेवा में उत्कृष्ट योगदान दिया है। वे अब तक 18 पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं और 45 से अधिक पांडुलिपियों का सृजन कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, 42 सांझा संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी हरियाणवी रचनाएं जैसे धतूरा, माटी के फूल, हरियाणवी शब्द संपदा तथा देसी भजनावली उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का प्रयास है।
हिंदी साहित्य में उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं- भारतभूमि, दर्पण, आंखें हैं पर हाथ नहीं, चंद्रिका, भारतेंदु काव्य (समीक्षा), हाइकु शतक और कविता कल्पतरु है। उन्होंने शोधकार्य के अंतर्गत डॉ. मधुकांत के काव्य का विश्लेषणात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया है। उनकी लघुकथा संग्रहों में बदलते मौसम, आधा चम्मच घी, और ढाई अक्षर विशेष रूप से सराहे गए हैं।
डॉ. शर्मा साहित्य सोम पत्रिका के प्रधान संपादक हैं और उन्होंने सच्चे मोती, बच्चों के बीच, कविता कौमुदी, चांद जमीं पर, हरियाणवी जिंदाबाद, जय हरियाणवी और ॐ नमः शिवाय जैसी पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। उनकी रचनाएं 80 से अधिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
उन्हें 340 से अधिक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें द ब्रिटिश वर्ल्ड रिकॉर्ड सम्मान और विक्की वर्ल्ड रिकॉर्ड सम्मान भी शामिल हैं। उनकी रचनाओं का प्रसारण हिसार दूरदर्शन पर हो चुका है और वे 10 अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं।
डॉ. शर्मा ने शैली साहित्यिक मंच हरियाणा और अखिल भारतीय राष्ट्रभाषा मंच का कुशल नेतृत्व किया है। उन्होंने 80 से अधिक साहित्यकारों को सम्मानित किया और 90 से अधिक साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।
वे एक समर्पित समाजसेवी भी हैं जिन्होंने 15 बार रक्तदान किया है। उनकी कविताएं यूट्यूब चैनल 'मेरी कविता' पर सुनी जा सकती हैं और उनकी रचनाएं www.hindibhashaa.com वेबसाइट पर भी प्रकाशित होती हैं।
उनकी मां पर लिखी गई रचना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डसाझा संग्रह में दर्ज है।
ग्राम: ब्राह्मणवास, रोहतक, हरियाणा-124001.

Book Details

ISBN: 9788198875488
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 168
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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