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"म्हारा हरियाणा" एक ऐसा काव्य-संग्रह है, जिथे हरियाणा की माटी की सौंंधी खुशबू, बोली की मिठास और लोक-संस्कृति की गहराई—सब एक साथ महसूस होगी। इस पुस्तक में हरियाणवी कविताएं न केवल गाम-खेत की ज़िंदगी, रीति-रिवाज और परंपराओं को सजाती हैं, बल्कि हरियाणा की वीरता, अपनापन और जज़्बातों को भी शब्द देती हैं।
डॉ. चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ द्वारा संपादित यह संग्रह अनेक रचनाकारों के मन की सच्ची आवाज़ है। इसमें बचपन की यादें, खेत-खलिहान के दृश्य, लोक-त्योहारों की रौनक, और हरियाणवी संस्कृति की झलक पाठकों को सीधे अपनेपन से जोड़ देती है।
हर कविता में कहीं हास्य है, कहीं भावुकता, कहीं गांव का गौरव तो कहीं समाज को आईना दिखाती हुई बात—यानी हरियाणा का असली रंग।
"म्हारा हरियाणा" सिर्फ पढ़ने भर की किताब नहीं, बल्कि यह हरियाणा के दिल की धड़कन है, जो हर पाठक को अपनी जड़ों की याद दिला देगी।
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