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(पुस्तक: ॐ नमः शिवाय | लेखक: डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चंद्रकवि')
मनुष्य जीवन के चार प्रमुख उद्देश्य माने गए हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। धर्म से आत्मा को शांति और संतोष प्राप्त होता है, अर्थ जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, काम सृष्टि को आगे बढ़ाता है और मोक्ष आत्मा की मुक्ति का मार्ग है। यह पुस्तक ॐ नमः शिवाय इन्हीं आध्यात्मिक उद्देश्यों की साधना का मार्ग प्रशस्त करती है।
"ॐ नमः शिवाय" कोई साधारण मंत्र नहीं, बल्कि एक ऐसी दिव्य ध्वनि है जो आत्मा को शिव से जोड़ती है। इसमें "ॐ" आत्मा और ब्रह्म का प्रतीक है, "नमः" समर्पण का भाव है, और "शिवाय" उस सर्वशक्तिमान शिव को समर्पण है, जो शिव और शक्ति दोनों हैं। इस छंद का विन्यास भी अद्वितीय है—पहली पंक्ति में एक शब्द, दूसरी में दो शब्द और तीसरी में तीन शब्द, जो इसे एक नया और आध्यात्मिक छंद बनाता है।
यह छंद पारंपरिक नहीं है, परंतु अपनी सहजता और शिवत्व से ओतप्रोत शैली के कारण यह एक नव-निर्माण छंद बन गया है। यह छंद हर साहित्यकार को अपने भावों की अभिव्यक्ति के लिए एक सरल और प्रभावशाली माध्यम प्रदान करता है।
इस पुस्तक में देशभर के 11 साहित्यकारों की 108 रचनाएँ संकलित हैं, जो शिवभक्ति की गंगा के रूप में पाठकों को पवित्रता, ऊर्जा और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव कराएंगी। इन रचनाओं के माध्यम से पाठक न केवल भक्ति की राह पर अग्रसर होंगे, बल्कि आंतरिक मुक्ति और शांति भी प्राप्त करेंगे।
इस पावन काव्यसंग्रह के संपादक डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चंद्रकवि', सह-संपादक डॉ. कविता शर्मा, विशिष्ट संपादक डॉ. रामअवतार कौशिक तथा उप-संपादक श्री अशोक जाखड़ हैं।
संकलन में जिन साहित्यकारों की रचनाएँ सम्मिलित हैं, वे हैं:
1. डॉ. चंद्रदत्त शर्मा
2. डॉ. कविता शर्मा
3. डॉ. रामअवतार कौशिक
4. सीमा शर्मा
5. श्रीमती चंद्रावती दीक्षित
6. डॉ. प्रद्युम्न भल्ला
7. श्रीमती सुशीला जांगड़ा
8. श्री अनिल खरब
9. श्री अशोक जाखड़
10. श्री आनंद कुमार असोधिया
11. कौशल समीर (सोनू)
ॐ नमः शिवाय निश्चय ही एक ऐसी काव्य-कृति है, जो पाठकों को भक्ति, काव्य-सौंदर्य और आत्मिक संतोष प्रदान करेगी। यह पुस्तक एक साधना है, एक अर्पण है, और एक आत्मा की पुकार है—भगवान शिव के श्रीचरणों में।
जय भोलेनाथ!
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