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डॉ. त्रिलोकीनाथ ब्रजबाल जी के अधिकांश गीत शृंगार रस से परिपूर्ण होते हुए भी श्लीलतां एवं शालीनतापूर्ण हैं। इनमें जीवन-दर्शन का समावेश बड़ी कुशलता से हुआ है। इन गीतों में वियोगजन्य जीवन की कसक और आत्म समर्पण की अभिव्यंजना का सरस मिश्रण है तथा इनमें जीवन के प्रति जिज्ञासा है। अधिकांश गीतों में प्रेम और प्रणय की अनुभूति के दर्शन होते हैं।
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