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"समाज के एक रंग में मानव के दो रंगों की दृष्टि" एक गहन और विचारोत्तेजक कृति है, जो मानव समाज में विद्यमान विविधताओं, भिन्न दृष्टिकोणों और सामाजिक सच्चाइयों को दर्शाती है। यह पुस्तक समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है—जैसे भिन्न जातीय, सांस्कृतिक, और सामाजिक पृष्ठभूमियों से आने वाले लोगों की सोच, अनुभव, और दृष्टिकोण।
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