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यह पुस्तक भारत की उन गुमनाम और ज्ञात वीरांगनाओं को समर्पित है, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला को अपने रक्त से प्रज्ज्वलित रखा। ये वो महिलाएं हैं जिन्होंने न केवल घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला, बल्कि अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इतिहास के पन्नों में कई बार इनका नाम दर्ज नहीं हो पाया, लेकिन इनके त्याग और बलिदान की कहानी हर भारतीय के दिल में हमेशा जिंदा रहेगी। इन्होंने अपने अदम्य साहस, अटूट संकल्प और देशभक्ति की भावना से न केवल पुरुषों को प्रेरित किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल कायम की। ये महिलाएं, चाहे वे रानी लक्ष्मीबाई जैसी योद्धा हों, सरोजिनी नायडू जैसी कवयित्री हों, या अरुणा आसफ अली जैसी क्रांतिकारी हों, सभी ने अपने-अपने तरीके से स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह पुस्तक उन सभी ज्ञात-अज्ञात नायिकाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अथक प्रयास किए। इनका बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकता और यह पुस्तक उस बलिदान को याद रखने का एक प्रयास है। यह एक छोटा सा प्रयास है उनकी कहानियों को हर घर तक पहुंचाने का, ताकि आने वाली पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके। उनकी ये जीवनगाथाएं केवल इतिहास के पन्ने नहीं हैं, बल्कि प्रेरणा का अक्षय स्रोत हैं, जो हमें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा करती हैं। ये वीरांगनाएं आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं और हमें एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए प्रेरित करती रहेंगी।
(यह पुस्तक काल्पनिक कहानी का रूप है, जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहानी को रोचक बनाने के लिए कुछ कल्पनाएं जोड़ी गई हैं।)
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