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झारखण्ड: एक ऐतिहासिक अवलोकन

डॉ. राज दुलारी
Type: Print Book
Genre: History
Language: Hindi
Price: ₹487 + shipping
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Description

यह पुस्तक 'झारखण्ड: एक ऐतिहासिक अवलोकन' का उद्देश्य झारखण्ड के सुदीर्घ और बहुआयामी इतिहास को एक व्यापक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना है। इसका लक्ष्य केवल तथ्यों का संकलन नहीं, बल्कि उन घटनाओं, आंदोलनों और व्यक्तित्वों को उजागर करना है, जिन्होंने इस क्षेत्र के स्वरूप को गढ़ा है।
इस पुस्तक की संरचना निम्नलिखित अध्यायों में की गई है, जो कालक्रमानुसार झारखण्ड के इतिहास को दर्शाते हैं:
अध्याय एक में हम झारखंड राज्य का विस्तृत परिचय प्राप्त करेंगे। सर्वप्रथम, हम इसके अद्वितीय भौगोलिक स्वरूप को समझेंगे, जिसमें इसके पठार, घने वन, नदियां और समृद्ध खनिज संपदा शामिल हैं। इसके पश्चात, हम झारखंड की जीवंत सांस्कृतिक विरासत से अवगत होंगे, जहां की भाषाओं और बोलियों, विभिन्न आदिवासी समुदायों की परंपराओं, लोक कलाओं, नृत्यों और पर्व-त्योहारों का गहन अध्ययन किया जाएगा। यह अध्याय झारखंड को सही अर्थों में समझने की आधारशिला रखेगा।
अध्याय 2 झारखंड के प्राचीन राजवंशों, जैसे नागवंशी, चेरो, सिंह शासकों के उदय और उनके सांस्कृतिक-धार्मिक योगदानों का अन्वेषण करता है।
अध्याय 3 मध्यकालीन भारत में दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य के साथ झारखंड के संबंधों, स्थानीय शासकों के प्रतिरोध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का विवरण प्रस्तुत करता है।
अध्याय 4 ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के आगमन, उसके आर्थिक शोषण और इसके परिणामस्वरूप हुए जनजातीय विद्रोहों, विशेषकर कोल विद्रोह, संथाल हूल और बिरसा मुंडा के उलगुलान पर केंद्रित है।
अध्याय 5 स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड की भूमिका, राष्ट्रीय आंदोलन के प्रभाव और अलग राज्य की मांग के प्रारंभिक चरणों की पड़ताल करता है।
अध्याय 6 स्वतंत्र भारत में आधुनिक झारखण्ड: चुनौतियाँ और संभावनाएँ (2000 पश्चात्)
यह अध्याय 2000 के बाद के झारखण्ड के उन्हीं चुनौतियों और संभावनाओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, यह दर्शाता है कि कैसे यह राज्य अपने संसाधनों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाकर एक समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है।
अध्याय 7 झारखंड के भविष्य की उज्ज्वल संभावनाओं पर प्रकाश डालता है, जो इसे विकास और प्रगति के लिए एक प्रमुख राज्य के रूप में स्थापित करता है। यह भविष्य मुख्य रूप से चार स्तंभों पर टिका है: पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, स्टार्टअप्स और कौशल विकास। झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता, आदिवासी संस्कृति और ऐतिहासिक स्थल इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं, जो राजस्व सृजन और रोजगार के नए अवसर खोल सकते हैं।
अंत में, निष्कर्ष में पूरे ऐतिहासिक अवलोकन का सार प्रस्तुत करते हुए, लेखक झारखण्ड के इतिहास से मिलने वाली सीखों और भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार साझा करेंगे।
यह पुस्तक झारखण्ड के इतिहास को समझने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है, उम्मीद है कि यह पाठकों को इस अद्भुत भूमि की जटिलताओं, सुंदरता और शौर्य से परिचित कराने में सफल होगी।

About the Author

साहित्य जगत में कुछ असाधारण व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जिनकी रचनाएँ मात्र शब्दों का संग्रह नहीं होतीं, बल्कि ज्ञान, प्रेरणा और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतिरूप बन जाती हैं, और इसी श्रेणी में डॉ. राजदुलारी का नाम अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। वे एक प्रख्यात इतिहासकार होने के साथ-साथ एक अत्यंत कुशल एवं प्रवाहमयी लेखिका भी हैं, जिन्होंने भारतीय इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी कालजयी पुस्तकें, विशेषकर "प्राचीन भारत का स्वर्णिम इतिहास" और "स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाएं", हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान मानी जाती हैं। डॉ. राजदुलारी की रचनाएँ सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों का संग्रह नहीं हैं, बल्कि वे भारत के समृद्ध अतीत के बारे में गहन और सूक्ष्म जानकारी प्रदान करती हैं, जिससे पाठक भारत की आत्मा से जुड़ पाते हैं। उनके लेखन में प्रस्तुत यह पुस्तक झारखण्ड के सुदूर अतीत से लेकर आधुनिक काल तक की यात्रा का विस्तृत ऐतिहासिक विश्लेषण है। वर्तमान में, डॉ. राजदुलारी विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं, जहाँ उनका अकादमिक योगदान उनके साहित्यिक कार्यों को और अधिक सशक्त बनाता है, जिससे वे शोध, लेखन और शिक्षण के क्षेत्र में एक अद्वितीय प्रतिमान स्थापित करती हैं।

Book Details

ISBN: 9788198594884
Publisher: RCIT
Number of Pages: 273
Dimensions: A5
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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