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हिन्दी साहित्य का बहुविध अनुशीलन

डॉ. राम आशीष तिवारी
Type: Print Book
Genre: Literature & Fiction, Education & Language
Language: Hindi
Price: ₹399 + shipping
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Description

हिन्दी साहित्य विविध सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक आयामों को समेटे हुए एक सशक्त परंपरा का वाहक रहा है। समय के साथ-साथ इसकी विषयवस्तु, संवेदना, भाषा और अभिव्यक्ति के स्वरूप में निरंतर परिवर्तन होता रहा है। यह पुस्तक इन्हीं परिवर्तनों और प्रवृत्तियों का बहुआयामी विश्लेषण करती है, जिसमें आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रमुख विधाओं, विषयों और रचनाकारों की उपस्थिति सघन रूप से महसूस की जा सकती है।

इस पुस्तक में समाविष्ट अध्याय समकालीन विमर्शों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। ‘आधुनिक हिन्दी कविता में शहरी संवेदना का स्वरूप’ विषय पर आधारित अध्याय आधुनिक जीवन की जटिलताओं, अकेलेपन, भीड़ में गुम होते व्यक्ति और विखंडित होते संबंधों को रेखांकित करता है। इसी क्रम में प्रेमचन्द की कहानियों में सामाजिक यथार्थ का अध्ययन उनके कथा साहित्य में उपस्थित वर्ग-संघर्ष, जातिगत भेदभाव और ग्रामीण भारत की पीड़ाओं को उजागर करता है।

निर्मल वर्मा की कहानियों में अस्तित्ववादी दृष्टिकोण पर केन्द्रित अध्याय उनके लेखन में व्यक्ति की आत्मचेतना, अकेलापन और अस्तित्व के प्रश्नों को सामने लाता है। वहीं, महादेवी वर्मा की कविता में नारी चेतना पर केन्द्रित अध्याय हिन्दी कविता में स्त्री की संवेदना, उसकी पीड़ा, करुणा और आत्मबल की अभिव्यक्ति का गहन विश्लेषण करता है।

हिन्दी दलित आत्मकथाओं में अनुभव की अभिव्यक्ति विषयक अध्ययन दलित लेखन की आत्मकथात्मक परंपरा में अनुभव की प्रामाणिकता, सामाजिक उत्पीड़न और चेतना के उभार को केन्द्र में रखता है। इसके साथ ही नयी कविता में आत्मसंघर्ष और आत्मसंदेह की प्रवृत्ति का अध्ययन व्यक्ति-केन्द्रित मानसिकता, अस्तित्व के प्रश्न और सामाजिक विस्थापन को रेखांकित करता है।

हिन्दी साहित्य में गाँधी विचारधारा का प्रभाव विषय पर केन्द्रित अध्याय गाँधी के नैतिक मूल्यों, अहिंसा, स्वदेशी और ग्राम स्वराज जैसे विचारों के साहित्यिक प्रभाव को स्पष्ट करता है। वहीं, समकालीन कविता में पर्यावरण चेतना आज की सबसे बड़ी वैश्विक चिंता – प्रकृति का विनाश और पर्यावरण संकट – को साहित्य के माध्यम से समझने की कोशिश करता है।

भारतेंदु युगीन नाटकों में राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति पर केन्द्रित अध्याय हिन्दी नाट्य परंपरा में जनजागरण, औपनिवेशिक विरोध और स्वदेशी चेतना को चिन्हित करता है। इसी श्रृंखला में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की काव्यभाषा में नव्यता पर आधारित अध्याय उनकी भाषा-शैली, प्रयोगशीलता और विचार-वैविध्य को रेखांकित करता है।

प्रवासी हिन्दी साहित्य: पहचान, द्वंद्व और सांस्कृतिक अस्मिता पर केन्द्रित लेख वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रवासी लेखकों की पहचान, उनकी सांस्कृतिक स्मृतियाँ, और आत्मसंघर्ष को विश्लेषित करता है। अन्त में, साहित्य और सिनेमा: प्रेमचन्द की कहानियों के फिल्मी रूपांतरण शीर्षक अध्याय कथा से दृश्य माध्यम तक की यात्रा और उसमें आने वाले बदलावों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है।

यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के विविध पक्षों को एकत्र कर समकालीन विमर्शों से जोड़ने का प्रयास करती है। पाठकों, शोधार्थियों और हिन्दी के अध्येताओं के लिए यह संग्रह न केवल ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा, बल्कि उन्हें साहित्य के नए दृष्टिकोणों से भी परिचित कराएगा। हमें आशा है कि यह कृति साहित्य और समाज के बीच पुल का कार्य करेगी और संवाद की नई संभावनाओं को जन्म देगी।

डॉ. राम आशीष तिवारी

About the Author

डॉ. राम आशीष तिवारी, शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर, छत्तीसगढ में हिन्दी विषय के सहायक प्राध्यापक के रूप कार्यरत हैं | इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पूरा किया है| इनके कई शोध-लेख राष्ट्रीय एवं अंतर-राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है| डॉ. राम आशीष तिवारी द्वारा कई पुस्तकों एवं संपादकीय लेखों का प्रकाशन किया गया है। इसके अलावा लेखक को कई महवपूर्ण प्रशासकीय/अकादमिक कार्यों को सम्पन्न करने का श्रेय जाता है|
स्थायी पता – महरछा जंघई प्रयागराज उ.प्र. 212401

Book Details

ISBN: 9788198875471
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 199
Dimensions: 5.83"x8.27"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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