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'हिंदी के प्रमुख कवि' शीर्षक कृति केवल कवियों के जीवन और मृत्यु की तिथियों का एक संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि यह हिंदी साहित्य के विशाल सागर में एक गहन गोता लगाने जैसा है। इसके महत्व को इन बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण: यह पुस्तक केवल तथ्यात्मक जानकारी, जैसे- जन्म, स्थान, और रचनाओं की सूची देकर नहीं रुक जाती। इसके बजाय, यह प्रत्येक कवि के साहित्यिक अवदान का गहन मूल्यांकन करती है। यह विश्लेषण करती है कि किसी कवि ने हिंदी साहित्य को क्या नया दिया, उनकी शैली में क्या विशिष्टता थी, और साहित्य के इतिहास में उनका स्थान क्यों और कैसे निर्धारित हुआ। यह 'क्या' के साथ-साथ 'क्यों' और 'कैसे' का भी उत्तर देती है।
युगीन चेतना का प्रतिबिंब: कोई भी कवि अपने समय और समाज से अछूता नहीं रह सकता। यह कृति कवियों को उनके समय की सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिस्थितियों के आईने में रखकर देखती है। यह समझाती है कि कैसे एक कवि की रचनाओं में उस युग की आशाएँ, निराशाएँ, संघर्ष और मूल्य प्रतिबिंबित होते हैं। कबीर अपने समय के पाखंड पर प्रहार करते हैं, तो निराला अपनी कविताओं में युगीन पीड़ा और विद्रोह को स्वर देते हैं। इस प्रकार, यह कृति कवि को एक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि अपने युग के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करती है।
काव्य-सौंदर्य की सूक्ष्म पड़ताल: कविता का असली आनंद उसके सौंदर्य को समझने में है। यह कृति कवियों की रचनाओं का सतही पाठ करने के बजाय उनके मर्म तक पहुँचती है। यह कविताओं के भाव-पक्ष (विचार, भावना, दर्शन) और कला-पक्ष (भाषा, छंद, अलंकार, प्रतीक, बिंब) की गहराई से जाँच करती है। यह बताती है कि कवि ने अपनी बात को प्रभावशाली बनाने के लिए किन शब्दों, किन शिल्पों और किन शैलियों का प्रयोग किया, जिससे पाठक कविता के वास्तविक रस का आस्वादन कर पाता है।
परंपरा का मूल्यांकन और विकास-यात्रा: हिंदी कविता एक अटूट परंपरा की देन है। यह कृति अलग-अलग कवियों का अध्ययन करते हुए पाठक को हिंदी कविता की पूरी विकास-यात्रा से परिचित कराती है। यह दर्शाती है कि कैसे आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक कविता ने अलग-अलग मोड़ लिए, कैसे विभिन्न काव्य-धाराओं (जैसे भक्ति-काव्य, रीति-काव्य, छायावाद, प्रगतिवाद) का उदय हुआ, और कैसे एक कवि ने अपने पूर्ववर्ती कवियों से प्रेरणा ली और अपने परवर्ती कवियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
समकालीन प्रासंगिकता पर विमर्श: महान साहित्य कभी पुराना नहीं होता। इस कृति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह स्थापित करती है कि सदियों पहले लिखे गए इन कवियों का साहित्य आज के समय में भी क्यों महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है। यह बताती है कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे, जैसे- मानवीय मूल्य, सामाजिक न्याय, प्रेम, और अस्तित्व का संघर्ष, आज भी उतने ही जीवंत हैं। यह कृति पाठक को यह सोचने पर विवश करती है कि हम इन महान कवियों से आज क्या सीख सकते हैं और उनका साहित्य हमारे वर्तमान को कैसे दिशा दे सकता है।
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