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हिन्दी उपन्यास परंपरा अपने आरम्भ से ही चरित्र-चित्रण की सशक्त परंपरा के लिए जानी जाती है। उपन्यास, जीवन की जटिलताओं, अनुभवों और मानवीय मनोविज्ञान के सूक्ष्म आयामों को अभिव्यक्त करने वाली सर्वाधिक प्रभावकारी गद्य-विधा है। कथा-वस्तु, भाषा, शिल्प और शैली- इन सभी के मध्य भी चरित्र-शिल्प वह आधार है, जो किसी भी उपन्यास को जीवन, गति और अर्थ प्रदान करता है। इसीलिए महान आलोचकों ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उपन्यास का मूल सार उसके पात्रों में निहित होता है।
प्रस्तुत शोध-कृति ‘राजेन्द्र मोहन भटनागर के उपन्यास सरदार में चरित्र-शिल्प’ इसी दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। ‘सरदार’ केवल एक उपन्यास नहीं, बल्कि स्वतंत्र भारत के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन, संघर्ष, संकल्प और अदम्य नेतृत्व का जीवंत दस्तावेज़ है। यह उपन्यास जीवनीपरक रचना होते हुए भी केवल घटनाओं का अनुक्रम नहीं, बल्कि उस व्यक्तित्व की गहराई में उतरने का प्रयास है, जिसने भारत के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास को नई दिशा दी।
उपन्यासकार डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर ने इस कृति में सरदार पटेल के व्यक्तित्व के बहुआयामी पक्षों को अत्यंत सूक्ष्मता और कलात्मक ईमानदारी के साथ उकेरा है। उनके द्वारा रचित चरित्र न केवल घटनाओं को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि पाठक के मन में एक विचार-यात्रा भी आरम्भ करते हैं। यही कारण है कि ‘सरदार’ उपन्यास- अपनी शैली, कथ्य और चरित्र-चित्रण- तीनों स्तरों पर विशिष्ट स्थान प्राप्त करता है।इस पुस्तक में प्रस्तुत अध्ययन तीन प्रमुख आधारों पर निर्मित है-
1. उपन्यास व चरित्र-चित्रण का सैद्धान्तिक विश्लेषण
2. जीवनीपरक उपन्यासों की परंपरा और स्वरूप
3. भटनागर की कृति ‘सरदार’ में चरित्र-शिल्प का विस्तृत परीक्षण
पहले अध्याय में उपन्यास की विकास-परंपरा, तत्व, शिल्प और चरित्र-निर्माण के आधारों का विवेचन किया गया है। दूसरे अध्याय में जीवनीपरक उपन्यासों की परंपरा, उनकी संरचना तथा साहित्यिक मूल्यांकन को स्थापित किया गया है। तीसरे अध्याय में लेखक राजेन्द्र मोहन भटनागर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए ‘सरदार’ उपन्यास के चरित्र-शिल्प का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
यह कृति न केवल उपन्यास और चरित्र-शिल्प के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और अध्येताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि आधुनिक हिन्दी उपन्यास में जीवनीपरक रचनाओं की भूमिका को समझने हेतु भी महत्वपूर्ण संदर्भ-ग्रन्थ सिद्ध होगी।
यदि यह पुस्तक पाठकों को उपन्यास-कला की व्यापकता, चरित्रों की जीवनमूलक व्याख्या तथा सरदार पटेल जैसे महानायक के व्यक्तित्व के गहन अध्ययन के प्रति प्रेरित कर सके—तो लेखक का श्रम सार्थक माना जाएगा।
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