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प्रभु की अपार कृपा से, पूज्य पापा जी श्री सतपाल खुराना और मेरी हिन्दी अध्यापिका श्रीमती रोशनी शर्मा जी के आशीर्वाद से, दिवंगत बड़े भैया डॉ. अशोक खुराना की प्रेरणा से, परिवार के सभी आदरणीय एवं प्रिय सदस्यों के सहयोग से, मित्रों के उत्साहवर्धन से मुझे आज एक कवयित्री के रूप में पुन: अपनी पुस्तक की प्रस्तावना लिखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। मैं सबके प्रति हृदय से आभारी हूँ।
बचपन में जब उंगलियाँ कलम पकड़ती हैं, तब लिखना तो सभी सीखते हैं, परन्तु लेखन में रुचि सबकी नहीं होती। जब होश सम्भाला तो लेखन से अनभिज्ञ थी, लेकिन कक्षा में जब किसी विषय पर निबंध लिखना होता था, तो मैं पुस्तक में जो लिखा होता था या कक्षा में जो लिखवाया जाता था, उसमें अक्सर कुछ पंक्तियाँ अपनी तरफ से जोड़ दिया करती थी, जिन्हें पढ़कर मेरी अध्यापिकाएँ मेरी बहुत सराहना करतीं एवं मुझे और अच्छा लिखने के...
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