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आज के किशोर प्रत्येक परिवार एवं समाज की अनमोल निधि ही नहीं रीढ़ की हड्डी भी हैं l वह स्वाभाव से जिज्ञासु, उत्साह से भरे एवं दृढ़ कल्पना शक्ति वाले होतें हैं l इन सभी किशोरों के व्यक्तित्व को रचनात्मक मोढ़ देने हेतु लेखक डॉ सुकर्मा रानी थरेजा ने पुस्तक किशोर चेतना में सभी रचनाओं को अपनी इन्द्रधनुषीय कूचियों से तर्क शक्ति , अनुशासित समाजिकता एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण जैसी खूबियों से भरने का प्रयास किया है l अन्याय एवं भ्र्ष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझते किशोरों को प्रस्तुत पुस्तक में समाजिक एवं राष्ट्रीय हित को लेकर सकारात्मक कल्पना शक्ति को बढ़ाने का साक्षात अनुभव प्राप्त होगा l यह पुस्तक बच्चों, किशोरों, शिक्षकों एवं माता-पिताओं सभी के लिए वरदान हैl मेरी पुस्तक "किशोर चेतना-काव्य संग्रह" आधुनिक चिंतन की उपज है l सभी कविताओं की रचना किशोरों की शिक्षा, संस्कार, मनोविज्ञान एवं जिज्ञासा को ध्यान में लेकर की गयी है l किशोर प्रत्येक परिवार एवं समाज की अनमोल निधि के साथ साथ रीढ़ की हड्डी भी होतें हैं l स्वभाव से जिज्ञासु, उत्साह से भरे एवं दृढ़ कल्पना शक्ति रखते हैं l इन सभी पहलुओं को सामने रख कर मैंने अपनी रचनाओं में तर्क शक्ति की गंभीरता, अनुशासित सामाजिकता तथा वैज्ञानिकता को भरने का भरसक प्रयास किया है l भ्र्ष्टाचार, अत्याचार, अन्याय एवं अनैतिकता जैसी समस्याओं से जूझते किशोरों को इन सभी चुनौतियों को निपटने का साहस हेतु सामाजिक एवं राष्ट्र हित को लेकर सभी रचनाओं में मैंने किशोरों की सकारात्मक कल्पना शक्ति को बढ़ाने का छोटा सा प्रयास किया है l आशा करती हूँ की मेरी पुस्तक की सभी रचनाएँ आप सभी पाठकों के लिए सद्मार्ग पथ पर चलने की प्रेरणा स्रोत बनेंगी l
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