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उस पार सरहद
सरहदें सिर्फ नक्शों पर बनी लकीरें नहीं होतीं, वे इंसानों के दिलों पर भी खिंच जाती हैं। यह कहानी उन जज़्बातों की है जो किसी भी दीवार या सीमा से बड़े हैं।
यह उपन्यास आपको ले जाएगा दो गाँवों और दो दुनियाओं के बीच, जहाँ हास्य और व्यंग्य के बीच छुपी है गहरी त्रासदी, और जहाँ रिश्ते, नफ़रत, मोहब्बत और रहस्य एक-दूसरे से उलझते हैं।
"उस पार सरहद" केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक आईना है—जिसमें दिखती है हमारी सामाजिक सच्चाई, मानवीय कमज़ोरियाँ और वह जिजीविषा जो हर मुश्किल के पार जाकर नई राह बनाती है।
इसमें है गाँव की लोक-गंध और माटी की खुशबू
इसमें है हास्य, रहस्य और टकराव
और सबसे बढ़कर, इसमें है मनुष्य के दिल की गहराई से निकली भावनाएँ
यह किताब उन सभी पाठकों के लिए है जो साहित्य में हास्य और व्यंग्य के साथ गहराई तलाशते हैं, और जो जानना चाहते हैं कि इंसानियत हर सरहद से बड़ी होती है।
क्या आप तैयार हैं उस पार जाने के लिए…?
मैने ये किताब पढ़ी है , मस्त किताब है भाई।।।एक बार जरूर पढ़ें भूलेंगे नहीं । अगर अपने कश्प पढ़ी तो फिर तो मजा ही आ जाएगा। I will just must read book at least once .... I can't forget the main character.. लबाया
Mahesh
Mast book hai, ek bar jarur padhana chahiye...mai to Labaya ka chehra nahi bhool pa rha hu...maza aaya..