इस पुस्तक को पढ़ते समय मालवीया में बिताये हुये चार सुनहरे वर्षों को पुनः जीने का आभास होता है। धर्मा तथा अन्य सभी पात्र परिचित से प्रतीत होते हैं।
लेखक ने पूरी ईमानदारी से घटनाओं का सजीव वर्णन किया है। उनकी स्मरणशक्ति प्रशंसा के योग्य है।
श्री धर्मेंद्र सिंह ने गुज़रे हुये जमाने को जीवन्त कर हमारे सामने प्रस्तुत किया है। उन्हें साधुवाद!
मैं इस पुस्तक को पूरे पाँच सितारे प्रदान करता हूँ।
- अवधेश कुमार सिंह, मालवीयन 1974 (मेकैनिकल)
Malviyans
We have really gone through a great experience in the four years at College. Refreshing memories. Great efforts DK. Keep it up