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एक सारी अजीब विरासत से दूर अंधेरे में चिराग जलाने के बराबर वाला साथ। हाँ जी मोह और उनकी अकेलेपन की कहानी कुछ ऐसी है। जब-जब वो अकेले होते है, उनकी साथी बन जाती है। एक साये की गुनगुनाहट, जो उन्हें पन्ने से जोड़े रखती है। यादो से लेकर दिन भर का सिला दोनों साथ बैठ कर पन्नो पर उतारते है। एक अजीब सख्शियत है मोह, जो रोज गुज़र रहा है यादो में और अपने ही ख्यालों में। जो बस बढ़ रही है उनकी शायरियां और उनकी कविताएँ है। आशा है आपको भी इस सफर को जरा महसूस करने में मोह आएगा।
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