You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
गणेश भगवान के अनेक रूप हैं एवं उनके अलग अलग रूपों की पूजा अलग अलग कामनाओं के लिए की जाती है। इन सबरूपों में महागणपति का रूप विशेष दिव्य एवं सारे संसार के वशीकरण की शक्ति देने वाला है। श्रीविद्या में प्रवेश से पूर्व महागणपति की उपासना प्रत्येक साधक के लिए आवश्यक होती है। गणेश न सिर्फ विघ्नहर्ता हैं बल्कि वही विघ्नकर्ता भी हैं। जो भी मानव या देवता महागणपति का सदैव भक्तिपूर्वक पूजन करता है। उनको विघ्न बाधाओं का सामना नहीं करना पडता। साधना के विघ्नों को भी महागणपति हर लेते हैं। जो उनके मंत्र का जप एवं स्तोत्रों का पाठ करता है सभी प्रकार की ऋद्धि सिद्धि उसके हस्तगत होती है।
प्रस्तुत पुस्तक में मैंने परशुरामकल्पसूत्र में दिये गये महागणपति क्रम को कुछ अन्य तंत्र ग्रन्थों यथा नित्योत्सव एवं रूद्रयामल एवं गुरू श्रीअमृतानन्दनाथ एवं अन्नपूर्णाम्बाजी के द्वारा प्रदत्त जानकारी के आधार पर प्रस्तुत किया है। इस प्रकार से किया गया महागणपति पूजन सभी प्रकार के विघ्नों का नाश करने वाला व परमसिद्धिदायक है।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book परशुरामकल्पोक्त महागणपति क्रम.