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गीता को उपनिषदों का सार कहा जाता है। इस पुस्तक में उपनिषदों के परिप्रेक्ष्य में गीता की सरल व्याख्या प्रस्तुत की गई है। उपनिषदों की जटिलता एवं विस्तृतता के कारण इन्हें समझना कठिन होता है। इस पुस्तक में बड़ी सरलता, स्पष्टता एवं व्याावहारिक दृष्टिकोण से गीता एवं उपनिषदों के गूढ़ तत्वों को समझाया गया है।
क्या जगत् वास्तविक है ? क्या हम स्वप्न में हैं? क्या मैं ब्रह्म हूँ या शरीरमात्र? क्या ईश्वर की सत्ता है? दु:खों से कैसे छूटा जाए? वास्तविक सुख क्या है? जीवन को सर्वोत्तम प्रकार से कैसे जिया जाए? इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर इस पुस्तक में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त इस पुस्तक को पढ़कर आत्मा, ईश्वर, ब्रह्म, शिव, शक्ति, माया, जीव, जगत्, जन्म, मृत्यु, ज्ञान, अज्ञान, कर्म, बन्धन एवं मोक्ष आदि विषयों के संबंध में पाठकों की समझ विकसित होगी। इस बोध से व्यक्ति का संसार को देखने का दृष्टिकोण बदल जाता...
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