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अपना रोल मॉडल स्वयं बनें (बच्चों का सही मार्ग दर्शन)

(बच्चों का सही मार्गदर्शन)
मनोज कुमार श्रीवास्तव
Type: Print Book
Genre: Self-Improvement
Language: Hindi
Price: ₹224 + shipping
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Description

जितना अधिक हम अपने बच्चे को सुविधा की चीजें देंगे, उतना ही अधिक हमारे बच्चे कमजोर होंगे। क्योकि इससे किसी चीज पर बच्चे की निर्भरता बढेगी और इस चीज का एडिक्शन बढ़ेगा।

हम कहते है मेरे बच्चे एसी के बिना नही रहे सकते है। बच्चो को कम्फर्ट देना चाहिए, यह जरूरी भी है। लेकिन सभी सुविधा संतुलित रूप में ही देनी चाहिये। यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे द्वारा दी गई सुविधा, एडिक्शन में नही बदलने पाए।

मैं अपने बेटे को राजा की तरह पालूंगा। लेकिन राजा की तरह पालने का यह अर्थ नही है कि हम अपने बच्चे को आराम, कम्फर्ट देकर बच्चे को कमजोर बनाना है। अपने बेटे को राजा की तरह पालने का अर्थ है कि अपने बेटे को राज्य करना बताना है। अपने बेटे को राजा बनाये। लेकिन राजा वह है, जो अपने मन पर राज्य करता है।

अनुशासन के बिना शासन सम्भव नही है। जिसका अपने ऊपर अनुशासन है, वही राजा विषम परिस्थितियों को संभाल सकता है। राजा बनने के लिये अलग-अलग वातावरण में रहने की, क्षमता का होना जरूरी है। जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना करने की ताकत रखने वाला ही व्यक्ति ही राजा बन सकता है।

पहले राज्य घराने के बच्चे एसी कमरे में नही पढ़ते थे। इसकी जगह राजकुमार जंगल मे, गुरुकुल में जाकर पढ़ते थे। राजा का बच्चा राज्य घरानों के भाग्य को छोड़ कर जंगलों और आश्रमो में रहकर पढ़ते थे। राजकुमार जिनके आस-पास, दास-दसिया रहती थी, इनको पानी का एक गिलास भी उठा कर नही पीना पड़ता था, ऐसे राजकुमार को सभी सुविधा से दूर रखकर जंगल मे पढ़ने भेजा जाता था।

पढ़ाई के साथ, राजकुमार को जंगल मे लकड़ी काटनी होती थी, अपना खाना भी बनाना पड़ता था, पानी भी स्वयं लेकर पीना पड़ता था। राजा अपने बच्चे को सही मायने में राजा बनाना चाहता था। क्योकि राजकुमार को आगे चलकर राज्य और प्रजा को चलाना होता था।

अनुशासन के बिना शासन नही चलाया जा सकता है। अपने ऊपर राज्य किये बिना, दुसरो के ऊपर राज्य नही किया जा सकता है। जो राजकुमार अपनी छोटी-छोटी आदतों का गुलाम है, वह प्रजा पर राज्य कैसे कर सकता है? इसलिये राजा के बच्चे को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप शक्तिशाली बनाना जरूरी होता है।

About the Author

मनोज कुमार श्रीवास्तव

9412047595 / dio.hdr2010@gmail.com

निवास: लेन 4, एकता विहार, सहस्त्रधारा रोड,
देहरादून 248001
जन्म: 02 फरवरी 1971, सिधारी आजमगढ़,
उत्तर प्रदेश।

शैक्षिक योग्यता - इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1991 में आधुनिक इतिहास, अर्थशास्त्र व प्रतिरक्षा में स्नातक की उपाधि के पश्चात् प्राचीन इतिहास पत्रकारिता व जनसंचार विषय में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की।

सम्प्रति: सहायक निदेशक, सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग: प्रभारी अधिकारी, उत्तराखण्ड विधान सभा मीडिया सेन्टर, उत्तराखण्ड सरकार

लेखक की पूर्व प्रकाशित पुस्तक
● मेडिटेशन के नवीन आयाम, प्रभात प्रकाशन (दिल्ली), 2016
● आत्मदीप बनें, प्रभात प्रकाशन (दिल्ली), 2017
● निर्णय लेने की शक्ति, वर्जिन साहित्यपीठ (दिल्ली), 2018
● Be Your Own Light, वर्जिन साहित्यपीठ (दिल्ली), 2018
● योग और योगा की शक्ति, वर्जिन साहित्यपीठ (दिल्ली), 2018

सम्मान:
● विक्रमशीला हिन्दी पीठ द्वारा विद्यावाचस्पति (पीएचडी) मानद उपाधि

Book Details

Publisher: वर्जिन साहित्यपीठ
Number of Pages: 152
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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