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जितना अधिक हम अपने बच्चे को सुविधा की चीजें देंगे, उतना ही अधिक हमारे बच्चे कमजोर होंगे। क्योकि इससे किसी चीज पर बच्चे की निर्भरता बढेगी और इस चीज का एडिक्शन बढ़ेगा।
हम कहते है मेरे बच्चे एसी के बिना नही रहे सकते है। बच्चो को कम्फर्ट देना चाहिए, यह जरूरी भी है। लेकिन सभी सुविधा संतुलित रूप में ही देनी चाहिये। यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे द्वारा दी गई सुविधा, एडिक्शन में नही बदलने पाए।
मैं अपने बेटे को राजा की तरह पालूंगा। लेकिन राजा की तरह पालने का यह अर्थ नही है कि हम अपने बच्चे को आराम, कम्फर्ट देकर बच्चे को कमजोर बनाना है। अपने बेटे को राजा की तरह पालने का अर्थ है कि अपने बेटे को राज्य करना बताना है। अपने बेटे को राजा बनाये। लेकिन राजा वह है, जो अपने मन पर राज्य करता है।
अनुशासन के बिना शासन सम्भव नही है। जिसका अपने ऊपर अनुशासन है, वही राजा विषम परिस्थितियों को संभाल सकता है। राजा बनने के लिये अलग-अलग वातावरण में रहने की, क्षमता का होना जरूरी है। जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना करने की ताकत रखने वाला ही व्यक्ति ही राजा बन सकता है।
पहले राज्य घराने के बच्चे एसी कमरे में नही पढ़ते थे। इसकी जगह राजकुमार जंगल मे, गुरुकुल में जाकर पढ़ते थे। राजा का बच्चा राज्य घरानों के भाग्य को छोड़ कर जंगलों और आश्रमो में रहकर पढ़ते थे। राजकुमार जिनके आस-पास, दास-दसिया रहती थी, इनको पानी का एक गिलास भी उठा कर नही पीना पड़ता था, ऐसे राजकुमार को सभी सुविधा से दूर रखकर जंगल मे पढ़ने भेजा जाता था।
पढ़ाई के साथ, राजकुमार को जंगल मे लकड़ी काटनी होती थी, अपना खाना भी बनाना पड़ता था, पानी भी स्वयं लेकर पीना पड़ता था। राजा अपने बच्चे को सही मायने में राजा बनाना चाहता था। क्योकि राजकुमार को आगे चलकर राज्य और प्रजा को चलाना होता था।
अनुशासन के बिना शासन नही चलाया जा सकता है। अपने ऊपर राज्य किये बिना, दुसरो के ऊपर राज्य नही किया जा सकता है। जो राजकुमार अपनी छोटी-छोटी आदतों का गुलाम है, वह प्रजा पर राज्य कैसे कर सकता है? इसलिये राजा के बच्चे को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप शक्तिशाली बनाना जरूरी होता है।
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