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The basic purpose of this book is light entertainment through stories. The people living in a fictional mountain town called 'Melapur' are the main characters of this book. Along with this, a hotel has also been envisaged in Melapur and some stories contain interesting tales from the life of characters associated with the hotel.
The main character of the book is a ‘common person’ who could be a hotel owner, cinema owner, tea seller, gardener, hunter, housewife, young man, girl or anyone in any other profession. The common person’s determination to win after fighting the adversities of life is well depicted in Melapur, and an attempt has been made to balance the book with simple humour. Common people usually have a lot of knowledge on the basis of their experiences which according to them is logical. When their knowledge is included in this book at some places, stories tend toward humour and infotainment. The stories are not tightly woven together, so they can be read in any order. Yes, if you read Melapur sequentially from beginning to end, then it is a journey from simple to philosophical. Welcome to Melapur!
पुस्तक का मूल उद्देश्य कहानियों के द्वारा साफ़-सुथरा हल्का मनोरंजन है। ‘मेलापुर’ नामक एक काल्पनिक पहाड़ी शहर में रहने वाले लोग इस पुस्तक के मुख्य किरदार हैं। साथ ही मेलापुर में एक होटल की परिकल्पना भी की गई है व कुछ कहानियाँ होटल से सम्बंधित पात्रों के जीवन के रोचक किस्से सहेजे हुए हैं।
पुस्तक का मुख्य पात्र आम व्यक्ति है जो कि होटल मालिक, सिनेमाघर मालिक, चायवाला, बागवान, शिकारी, गृहणी , युवक , युवती या किसी भी अन्य व्यवसाय से सम्बंधित है। आम व्यक्ति के जिंदगी से लड़कर जीतने के संकल्प को मेलापुर में भली भांति दर्शाया गया है व पुस्तक को सरल हास्य-विनोद से भी संतुलित करने का प्रयास किया गया है। आम व्यक्ति के पास प्रायः अपने अनुभवों के आधार पर काफ़ी ज्ञान होता है जो उसके हिसाब से तार्किक होता है। उनके ज्ञान का भी इस पुस्तक में कहीं-कहीं समावेश किया गया तो कहानियाँ हास्य-विनोद व ज्ञानरंजन की तरफ झुकी हुई प्रतीत होती हैं। कहानियाँ एक-दूसरे से कसकर नहीं बुनी गई हैं, सो इन्हें किसी भी क्रम में पढ़ा जा सकता है। हाँ, अगर मेलापुर को शुरू से अंत तक क्रमवार पढ़ा जाए तो आसान शब्दों में यह सरलता से दार्शनिकता तक का सफ़र है। मेलापुर में आपका स्वागत है!
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