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मिनी के मिलने से पहले मुझे कुत्तों से बहुत डर लगता था।
2012 की खत्म होती हल्की सर्दियों में मिनी मिली।
और उसी के साथ शुरू हुआ मेरा एक नया जीवन।
उसी साल मिक्की मिला..और ज़िंदगी में खुशहाली बढ़ती गयी।
2013 में बाबा, उनके सात कुत्ते कालू, छोटी, लल्लू, मुनिलाल, चीकू, छोटू, गोलू और एक मोटा बिल्ला चुनीलाल, और मिनी और मिक्की के साथ आश्रम की शुरुआत हुई थी।
साल 2014 की तपती गर्मियों में मिक्की की अचानक हुई मौत ने मुझे अंदर तक तोड़ दिया।
राह चलते हर लंबे मुँह वाला कुत्ता मिक्की दिखता था।
आसान नहीं होता ऐसे एकदम से साथ छूट जाना।
मुझे टूटना नहीं था..मैं आश्रम के बच्चों के साथ बिताया हुआ समय याद रखना चाहता था..वो मीठी यादें थीं..वो दुखदायी भी थीं, पर मीठी यादें थीं।
मैं उनकी फोटो खींच कर रखता..देर देर तक देखते रहता।
मैं उन यादों को लिख कर रखता..बार बार पढ़ते रहता।
मैं आश्रम के...
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