You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution

Add a Review

आश्रम

मनोज राय
Type: Print Book
Genre: Pets
Language: Hindi
Price: ₹349 + shipping
Price: ₹349 + shipping
Dispatched in 5-7 business days.
Shipping Time Extra

Description

मिनी के मिलने से पहले मुझे कुत्तों से बहुत डर लगता था।
2012 की खत्म होती हल्की सर्दियों में मिनी मिली।

और उसी के साथ शुरू हुआ मेरा एक नया जीवन।
उसी साल मिक्की मिला..और ज़िंदगी में खुशहाली बढ़ती गयी।

2013 में बाबा, उनके सात कुत्ते कालू, छोटी, लल्लू, मुनिलाल, चीकू, छोटू, गोलू और एक मोटा बिल्ला चुनीलाल, और मिनी और मिक्की के साथ आश्रम की शुरुआत हुई थी।

साल 2014 की तपती गर्मियों में मिक्की की अचानक हुई मौत ने मुझे अंदर तक तोड़ दिया।

राह चलते हर लंबे मुँह वाला कुत्ता मिक्की दिखता था।
आसान नहीं होता ऐसे एकदम से साथ छूट जाना।

मुझे टूटना नहीं था..मैं आश्रम के बच्चों के साथ बिताया हुआ समय याद रखना चाहता था..वो मीठी यादें थीं..वो दुखदायी भी थीं, पर मीठी यादें थीं।

मैं उनकी फोटो खींच कर रखता..देर देर तक देखते रहता।
मैं उन यादों को लिख कर रखता..बार बार पढ़ते रहता।
मैं आश्रम के बच्चों की तरफ देखता।
ये कितने खुश हैं..
वो जिनमें से कितनों ने अपनी माँ की शक्ल भी नहीं देखी।
वो जिन्हें मैंने अपनी हथेली पर सुला कर बोतलबंद दूध पिलाया..उनको बड़े होते देखना..उनको मरते हुए देखना।

मैं सब कुछ लिख लेता था।

मैं चाहता था लोग पढ़ें।
मैं चाहता था वो लोग जिनके लिए जानवर कोई मायने नहीं रखते, उनमें थोड़ी संवेदना पैदा हो।

मैं चाहता था कि वो लोग जानें जिन्होंने सब कुछ छीन लिया जानवरों का।
जो उन्हें अपने बीच उन्हें देखना भी पसंद नहीं करते।
मैं चाहता था वो समझें कि इस धरती पर सबका उतना ही हक़ है जितना इंसानों का।

मेरी प्रेमिका को बहुत चाह थी मैं एक किताब लिखूँ।
मुझे लिखना तो आता था, पर सिर्फ कहानियाँ..किताब नहीं।

मैं छोटी छोटी कहानियाँ लिखता था..कभी कभी कुछ कविताएं, अपनी प्रेमिका के लिए।

एक दिन मैंने सोचा, अपनी प्रेमिका की चाह पूरी करना दोतरफा सुख है।

पर मुझे किताब लिखने का ज्ञान नहीं था।
लिहाज़ा मैंने अपनी उन कहानियों को ही रूप दे दिया किताब का।

वो कहानियाँ जिन्हें लिखते वक्त मैं रो भी दिया करता था।
ये कहानियाँ खट्टी मीठी, कड़वी, दुखद सुखद यादें हैं उन सबकी जिन्हें समाज निरन्तर दुत्कारने में लगा है।

यह किताब एक क्षमायाचना है उन समस्त जीवों से, जिन्हें इंसानों से सिर्फ दर्द मिला है।

यह किताब एक प्रयास है लोगों को जागरूक करने का..कहानियों के माध्यम से।

यह किताब आवाज़ है जीवों की।

सुनने के लिए शुक्रिया।

About the Author

जन्मदिन : 23 सितम्बर 1982
मूलतः  ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : दिल्ली विश्विद्यालय से आर्ट्स में ग्रेजुएशन, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान से चाइल्ड राइट्स में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा।

पूर्व कार्य अनुभव : बैंकिंग एवं टेलीकॉम सेक्टर में छह साल कार्यरत।
वर्तमान कार्य : 2019, कैनन (Canon) में फोटाग्राफी मेंटर।

लेखन अनुभव : 2014 से ब्लॉगिंग के साथ सामाजिक संस्थाओं के लिए कंटेंट राइटिंग।

उपलब्धियाँ:
- 2017 में कृषि में नवाचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित।
- इंटरनेशनल प्ले एसोसिएशन के मेंबर।

पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करने वाली संस्था "इकोलॉजी कंजर्वेशन आर्गेनाइजेशन" के को-फाउंडर हैं।
"आश्रम" जानवरों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के बारे में लोगों को जागरूक करने का लेखक का एक प्रयास है।

फोन : 9873342030
ई-मेल : manojrai123@gmail.com
निवास : नई दिल्ली।

Book Details

ISBN: 9781393239857
Publisher: BookLeaf Publishing
Number of Pages: 252
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

Ratings & Reviews

आश्रम

आश्रम

(Not Available)

Review This Book

Write your thoughts about this book.

Currently there are no reviews available for this book.

Be the first one to write a review for the book आश्रम.

Other Books in Pets

Matsyalay
Murari Bhalekar, Krupesh Sawant, Sushant Sanaye, Bahar Mahakal

Shop with confidence

Safe and secured checkout, payments powered by Razorpay. Pay with Credit/Debit Cards, Net Banking, Wallets, UPI or via bank account transfer and Cheque/DD. Payment Option FAQs.