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यह काव्य संग्रह मैं उन सभी संवेदनशील हृदयों को समर्पित करता हूँ, जो जीवन की आपाधापी में भी मानवीय मूल्यों, रिश्तों की पवित्रता और आत्मिक शांति की तलाश नहीं छोड़ते।
यह उन प्रत्येक व्यक्ति को समर्पित है, जिसने अपने जीवन पथ पर सुख-दुख, आशा-निराशा, और प्रेम-विरह के हर रंग को जिया है, और हर अनुभव से कुछ सीखा है।
विशेष रूप से, यह उन सभी बुजुर्गों को समर्पित है जिनकी झुर्रियों में अनकही कहानियाँ छिपी हैं, और जिनके त्याग को अक्सर भुला दिया जाता है। साथ ही, उन सभी परिंदों को भी, जो जीवन की यात्रा में "घर लौटने की राह" ढूंढ रहे हैं।
अंत में, यह प्रकृति के उस मानसून को समर्पित है, जो हर बार आकर न केवल धरती को सींचता है, बल्कि हमारे दिलों में प्रेम, आशा और नवीनीकरण की फुहार भी भर देता है।
: मुनीष भाटिया
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