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दर्द के इम्यूनिटी बूस्टर्स

कोविड आईसोलेशन के दौरान लिखी गई रचनायें
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
Type: Print Book
Genre: Literature & Fiction
Language: Hindi
Price: ₹300 + shipping
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Description

मुरली मनोहर श्रीवास्तव एक जाने-माने व्यंग्यकार और कवि हैं। वह एक चिंतक भी हैं, जिसका एहसास उनका कविता संग्रह 'सम्भावना' पढ़ते हुए हुआ था। दुर्योग से वह कोरोना महामारी की चपेट में आ गए थे, जिससे बड़ी सहजता से वह बाहर भी निकल आए। लेकिन लेखक चूंकि संवेदनशील प्राणी होता है, इसलिए वह त्रासदियों को सामान्य निगाहों से नहीं देखता। लेखक ने भी नहीं देखा। इसके बजाय उन्होंने इसे एक चुनौती की तरह लिया और महामारी से लड़ने की ठानी। कोरोना पॉजिटिव होते ही जिम्मेदार व्यक्ति की तरह उन्होंने अपने परिजनों की जांच कराई, घर पर क्वारंटीन हुए और पृथकवास की अवधि में लिखने-पढ़ने की पूरी रूपरेखा भी तैयार कर ली। यह किताब उसी का नतीजा है, जिसमें चार कहानियां, पांच व्यंग्य और आठ कविताएं हैं। यानी क्वारंटीन के कुल जमा सत्रह दिनों में सत्रह रचनाएं! बेशक क्वारंटीन काल की इन रचनाओं पर महामारी की छाया है, कुछ तो सीधे-सीधे उससे प्रभावित या उसे संबोधित हैं। लेकिन इन तमाम रचनाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण दरअसल पुस्तक की भूमिका है, जो क्वारंटीन काल में लेखक के ऊहापोह और द्वंद के बारे में बताती है और साबित करती है कि सकारात्मक जीवन बोध, जो अध्ययन, अनुशीलन और अनुभव से आता है, दवा और वैक्सीन से कहीं प्रभावी और ज्यादा ताकतवर है।
अज्ञेय की एक बेहद चर्चित कविता की पंक्तियां हैं, 'दुख सबको मांजता है/और चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने, किंतु/ जिनको मांजता है, उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें।'
मुरली मनोहर श्रीवास्तव की यह किताब सिर्फ कोरोना के विरुद्ध नहीं, बल्कि किसी भी विपत्ति के विरुद्ध मनुष्यता को जूझने और जीतने का हौसला देगी।
कल्लोल चक्रवर्ती ( संपादकीय मण्डल - अमर उजाला )

About the Author

लेखक का परिचय

नाम: मुरली मनोहर श्रीवास्तव
पिता का नाम: श्री विजय कुमार श्रीवास्तव ( लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार इलाहाबाद)
जन्मस्थान: इलाहाबाद
अध्ययन : बी.ई. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली से)
प्रकाशन : नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान दैनिक, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, नई
दुनिया, मेरे सहेली, जागरण सखी सहित विभिन्न दैनिक व पत्रिका में एक हज़ार से अधिक रचनाएँ
प्रकाशित तथा निरंतर प्रकाशन जारी है।
अभी तक लिखी कहानियाँ मेरी सहेली, जागरण सखी व दैनिक जागरण जैसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
व्यंग्य लेखक के रूप में विशिष्ट पहचान हिन्दी की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अमर उजाला व राष्ट्रीय सहारा
में नियमित कॉलम।

पुस्तकें :
पुस्तकें :1. सत्य जीतता है (हिन्दी अकादमी दिल्ली से प्रकाशित),
2. सम्भावना (साहित्य वीथी दिल्ली से प्रकाशित, वर्ष -2017 फ़्लिप कार्ट व अमेज़न दोनों पर उपलब्ध)
3. Posibility ( English translation of Sambhavana By Deepak Danish )on kindle
4 . गुरु गूगल दोऊ खड़े pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
5 . क्षमा करना पार्वती pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
6 . ख्वाबों की जिंदगी और 63 कविता
7. वह मैं हूँ
8.घोडा ब्रांड क्रिकेटर मेरे 71 व्यंग्य
9. दर्द और ख्वाब
संप्रति : हर समय कुछ करते रहने की इच्छा का बने रहना व पाठकों द्वारा प्रदान किए जाने वाला स्नेह ही मेरे लिखने का आधार है ।

Book Details

ISBN: 9781638867180
Publisher: Notion Press
Number of Pages: 117
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

Ratings & Reviews

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दर्द के इम्यूनिटी बूस्टर्स

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1 Customer Review

Showing 1 out of 1
Murli Srivastava 3 years, 7 months ago Verified Buyer

मस्ट रीड बुक इन कोरोना पीरियड

यह पुस्तक सचमुच करोना से लड़ने के लिए एक शक्ति प्रदान करती है । निश्चय ही करोना से लड़ाई एक मानसिक लड़ाई है और यह पुस्तक जीवन के किसी भी युद्ध में इंसान को लड़ने की ताकत देती है ।
सब से बड़ी बात लेखक खुद भी करोना से लड़ कर बाहर आया है और पुस्तक उसके जीवन के अनुभव भी बांटती है जो झूठ नहीं है ।

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