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यह पुस्तक सन 2000 में प्रकाशित हुई है । इस पुस्तक के विभिन्न संस्थाओं सहित 700 से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं । पुस्तक की भूमिका प्रसिद्ध कवि व वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक चक्रधर जी ने लिखी है ।
शीर्षक रचना अनेक बार मंच पर प्रस्तुत है । यह रचना श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है ।
पुस्तक की लगातार बनी हुई मांग को देखते हुये इसका द्वितीय संस्काण प्रकाशित हुआ है । यह पुस्तक ई बुक के रूप में किंडल पर उपलब्ध है , लेकिन द्वितीय संस्कारण में पुस्तक से जुड़ी कुछ और बातें लेखक ने शेयर की हैं जो बड़ी ही रोचक हैं ।
सत्य जीतता है जब
भीड भरे चौराहे पर शंखनाद कर
कोई हमारी सोई हुई अंतर- आत्मा को जगाता है
सोई हुई अंतरआत्मा को जागाता है
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